F&O सेगमेंट में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एप्टीट्यूड टेस्ट की पॉसिबिलिटी नहीं: तुहिन कांत पांडेय – sebi chief tuhin kanta pandey has ruled out the possibility of aptitude test for retail traders in futures and options segment

कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के चीफ तुहिन कांत पांडेय ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) सेगमेंट में भाग लेने की इच्छा रखने वाले रिटेल ट्रेडर्स के लिए योग्यता परीक्षण यानि एप्टीट्यूड टेस्ट की संभावना को खारिज कर दिया है। पांडेय ने कहा कि ऐसे रिटेल इनवेस्टर्स की योग्यता को परखने की बात अव्यावहारिक है और यह रेगुलेटरी ओवररीच भी कर सकती है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) ने पिछले साल नवंबर में डेरिवेटिव्स यानि F&O सेगमेंट में सौदों में अत्यधिक सट्टेबाजी को रोकने के लिए कदम उठाए थे। सेबी ने एक स्टडी की थी, जिसमें पता चला था कि 10 में से 9 रिटेल इनवेस्टर F&O इंस्ट्रूमेंट्स में लेनदेन के दौरान नुकसान उठाते हैं।

रिटेल इनवेस्टर्स को डेरिवेटिव प्रोडक्ट्स में कारोबार की मंजूरी देने से पहले उनके लिए योग्यता परीक्षण शुरू करने का सुझाव इंडस्ट्री का है। इस सुझाव पर न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक बातचीत में पांडेय ने कहा है, ‘फिलहाल हम इनमें से किसी भी बात पर विचार नहीं कर रहे हैं।’ उन्होंने बातचीत में ऐसे प्रस्तावों के पीछे व्यावहारिकता और प्रभावशीलता से जुड़ी चिंताओं को रखा। सेबी प्रमुख ने कहा, “सबसे पहले, हमें यह भी देखना होगा कि क्या ऐसा करना रेगुलेटरी ओवररीच होगा? क्या आप इसे प्रभावी ढंग से कर पाएंगे?”

स्पेसिफिक मार्केट पार्टिसिपेंट्स के लिए सर्टिफिकेशन मैकेनिज्म मौजूद

पांडेय ने स्पष्ट किया कि सेबी के पास पहले से ही स्पेसिफिक मार्केट पार्टिसिपेंट्स के लिए सर्टिफिकेशन मैकेनिज्म मौजूद है। जैसे कि कई लोगों के लिए NISM सर्टिफिकेशन है। जैसे कि आप रजिस्टर्ड एडवाइजर या इनवेस्टमेंट एडवाइजर या रिसर्च एनालिस्ट हैं। लेकिन इसे लाखों रिटेल ट्रेडर्स पर लागू करना पूरी तरह से एक अलग चुनौती होगी।

पांडेय ने कहा, “कल कोई कहेगा कि अगर आप म्यूचुअल फंड के लिए इसे लागू करना चाहते हैं, तो आपको एक एप्टीट्यूड टेस्ट करना होगा। तो इसे कौन लेगा, कैसे लिया जाएगा? इसलिए, हमें इसकी व्यावहारिकता भी देखनी होगी। इस समय हमारे सामने ऐसा कुछ भी नहीं है।”

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अपने पैसे के इस्तेमाल का फैसला लेने की होनी चाहिए आजादी

सेबी प्रमुख ने पर्सनल फाइनेंस को मैनेज करने में व्यक्तिगत पसंद की अहमियत पर जोर देते हुए कहा कि लोगों को अपने पैसे के इस्तेमाल का फैसला लेने की आजादी होनी चाहिए। उन्होंने जोखिम लेने की प्रवृत्ति की तुलना सिगरेट पीने की लत से करते हुए कहा कि अगर ‘ट्रेडिंग’ लत बन जाती है, तो यह नशे से मुक्ति का मामला हो जाता है। पांडेय ने कहा कि व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करना जरूरी है, क्योंकि लोग गलतियों से सीखते हैं और बेहतर बन सकते हैं।

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