Shankaracharya Selection Process: सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए आदि शंकराचार्य ने देश के चार दिशाओं में चार पीठों की स्थापना की थी. इन्हीं चार पीठों को प्रमुख शंकराचार्य कहते हैं. ये चार पीठ हैं- पुरी (गोवर्धन पीठ), द्वारका (शारदा), बद्रीनाथ (ज्योतिष पीठ) और कर्नाटक (श्रृंगेरी पीठ).
बात करें तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठ के बारे में तो यह कांचीपुरम में स्थित है. कांची कामकोटि पीठ की स्थापना का श्रेय आदि शंकर को दिया जाता है और इस पीठ के प्रमुख को शंकराचार्य कहते है. कहा जाता है कि इस पीठ की स्थापना 482 ईसा पूर्व में की गई थी.
बुधवार 30 अप्रैल 2025 को आंध्रप्रदेश के ऋग्वेद के विद्वान श्री सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य प्राचीन कामकोटि पीठ के कनिष्ठ पुजारी के रूप में नियुक्त हुए. इन्होने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मंदिरों में सेवा की है. साथ ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद समेत कई धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया है. आइये जानते हैं आखिर कांची कामकोटि पीठ में कैसी होता है नए शंकराचार्य का चयन.
कांची कामकोटि पीठ में शंकराचार्य की चयन प्रक्रिया
- परंपरा के अनुसार कांची मठ में शंकराचार्य का संन्यासी होना आवश्यक होता है.
- शंकराचार्य को वर्तमान शंकराचार्य से उत्तराधिकारी की मान्यता लेनी होती है, जोकि गुरु-शिष्य की परंपरा के अनुसार होता है. कांची मठ में भी आचार्य को वर्तमान संत श्री विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य से उत्तराधिकारी की मान्यता मिली.
- शंकराचार्य परंपरा के अनुसार, शंकराचार्य के रूप में नियुक्त होने के बाद नया नाम दिया जाता है. कांची मठ में भी संन्यास दीक्षा समारोह के दौरान वर्तमान संत श्री विजयेंद्र सरस्वती ने गणेश शर्मा द्रविड़ को ‘सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य’ नाम दिया.
- नया नाम देने के बाद शंकराचार्य का अभिषेक भी किया जाता है. अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर सत्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती शंकराचार्य का कांची कामकोटि पीठ के 71वें शंकराचार्य के रूप में अभिषेक किया गया.
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