SEBI चेयरमैन तुहिन कांता पांडे (Tuhin Kanta Pandey) ने सीएनबीसी-आवाज़ को दिए गए अपने मेगा एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एक्सपायरी को लेकर एक्सचेंजों की लड़ाई, RA और IA की शिकायतों के मुद्दों। NSE के IPO, FIIs निवेश बढ़ाने के फॉर्म्यूले जैसे विषयों पर बेबाक बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने कहा कि उनको चुनौतियों का सामना करने की आदत रही है। वे फाइनेंशियल मार्केट से भी जुड़े रहे हैं।
SEBI चेयरमैन के तौर पर उनकी प्राथमिकता निवेशकों की सुरक्षा,मार्केट डेवलपमेंट और मार्केट रेगुलेशन पर फोकस करना है। उन्होंने आगे कहा कि वे संतुलित और ऑप्टिमम रेगुलेशन पर फोकस कर रहे हैं। उनका रिस्क और कॉस्ट ऑफ कंप्लायंस कम करने पर जोर है। भारतीय कैपिटल मार्केट के विकास में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं।
6 महीने में क्या ओवर रेगुलेशन हुआ?
क्या 6 महीने में क्या ओवर रेगुलेशन हुआ है? इस सवाल का जवाब देते हुए तुहिन कांता पांडे ने कहा कि वे पिछले कदमों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। भारतीय मार्केट के विकास में SEBI की बड़ी भूमिका है। SEBI के पहले के कदमों को और आगे बढ़ाएंगे। निवेशक और कंपनियों दोनों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। देश की प्रगति में बाजार की भूमिका बढ़ाने की कोशिश जारी रहेगी।
निवेशकों के हित में उठाएंगे कदम
तुहिन कांता पांडे ने आगे कहा कि SEBI ने रेगुलेशन के हिसाब से कदम उठाए हैं। हम अपनी टेक्नोलॉजी को अपग्रेड कर रहे हैं। कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने पर फोकस है। सर्विलांस औप जांच में AI जैसे टूल का इस्तेमाल हो रहा है। मार्केट इंटेग्रिटी कायम रखने पर फोकस है।
फर्जीवाड़े पर निवेशकों को सतर्क करेंगे
सेबी चेयरमैन में आगे कहा कि वॉर्निंग के लिए डिस्क्लोजर बेहद अहम है। SEBI ने डिस्क्लोजर के नियम बेहद सख्त किए हैं। डायरेक्टर्स और ऑडिटर्स की जवाबदेही तय की गई है। रिलेटेड पार्टी के नियम सख्त रखे गए हैं। गलत डिस्क्लोजर पर सख्त कदम उठाए जाते हैं। निवेशकों से ध्यान से निवेश करने की अपील की जाती है। निवेशकों से सोचकर,संभलकर निवेश करने की अपील है। बढ़ा-चढ़ाकर किए गए रिटर्न के दावों पर सचेत रहें। लॉन्ग टर्म के हिसाब से निवेश पर फोकस करें। कंपनियों के ऑर्डर एलान पर क्रॉस चेकिंग की व्यवस्था है।
क्या FIIs की वापसी हो रही है?
तुहिन कांता पांडे ने आगे कहा कि संस्थागत निवेशक बाजार के लिए अहम हैं। FIIs की दिक्कतों को समझना हमारा दायित्व है। FIIs से कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। अमेरिका यात्रा के दौरान FIIs के साथ कई बैठकें की गई हैं। FPIs के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई है। FPIs भारत को बेहद पॉजिटिव नजरिये से देखते हैं।
SEBI चीफ ने SME IPO से ‘सजग’ रहने की दी सलाह, कहा- सिर्फ उम्मीद पर न लगाएं पैसा
FPIs ने ओनरशिप पर जवाब दिए?
सेबी चेयरमैन में आगे कहा कि कंसंट्रेटेड ओनरशिप पर 99 फीसदी FPIs ने जवाब दे दिए हैं। FPIs के डिक्लोजर नियम आसान किए गए हैं। FPIs की ओर से बाजार में अस्थिरता का रिस्क नहीं है। सेबी ने रेगुलेशन बनाने की भी प्रक्रिया तय कर दी है।
SME IPO नियम और सख्त होंगे?
इस बातचीत में तुहिन कांता में आगे कहा कि फंड जुटाने में सहूलियत के लिए SME IPO नियम आसान रखे गए थे। जरूरत महसूस होने पर नियम सख्त किए गए हैं। SME IPO पर निगरानी रख रहे हैं। निवेशक भी भेड़चाल में निवेश ना करें। फिनफ्लूएंसर्स की सलाह के झांसे में ना आएं।
फिनफ्लूएंसर्स पर सख्त रेगुलेशन जरूरी?
उन्होंने आगे कहा कि फिनफ्लूएंसर्स और एडवाइजर्स पर पहले से ही नियम हैं। रिसर्च एनालिस्ट्स की दिक्कतें दूर कर रहे हैं। फिनफ्लूएंसर्स के 70,000 कंटेंट हटवाए हैं। अनरजिस्टर्ड लोगों के साथ ब्रोकर और MFs के करार पर रोक लगाई गई है। फिनफ्लूएंसर्स की सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें। निवेशक रिटर्न की गारंटी के झांसे में ना आएं। सिर्फ लिस्टिंग गेन के लिए IPO में निवेश ना करें।
F&O में सख्ती पर क्या राय है?
इसके जवाब में तुहिन कांता ने कहा कि F&O के रिस्क पर निवेशकों को चेताना जरूरी है। F&O में गड़बड़ी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। डेल्टा बेस्ड MWPL पर फोकस कर रहे हैं। वायदा में कसीनो अप्रोच को रोकना है। F&O का असली मकसद हेजिंग है। F&O को गैंबलिंग की तरह ना इस्तेमाल करें। SEBI की दिक्कत वीकली एक्सपायरी से रही थी। वीकली एक्सपायरी पूरी तरह से सट्टा बन चुकी थी। दो वीकली एक्सपायरी वाले फैसले को नहीं बदलेंगे।
एक्सपायरी पर एक्सचेंजों की तकरार खत्म?
इस पर सेबी चेयरमैन ने कहा कि वीकली एक्सपायरी के दिन तय कर दिए गए हैं। मंगलवार, गुरुवार के दिन ही वीकली एक्सपायरी होगी। नए एक्सचेंज को भी इन्हीं में से चुनना होगा।
NSE के IPO का क्या स्टेटस है?
इसका जवाब देते हुए तुहिन कांता ने कहा कि चार मुद्दों पर NSE से चर्चा हो रही है। NSE ने कुछ मुद्दों पर अपने जवाब दिए हैं। कुछ कानूनी विवाद के मुद्दे सुलझाने हैं। क्लीयरिंग कॉरपोरेशन के रोडमैप पर चर्चा हो रही है। गवर्नेंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े मुद्दे भी अहम हैं। NSE की लिस्टिंग में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। निवेशकों के हित में आगे बढ़ेंगे।
ओपिनियन ट्रेडिंग पर क्या कदम उठा रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में सेबी चेयरमैन ने कहा कि SEBI निवेशकों को सतर्क कर रहा है। SEBI का काम निवेशकों को शिक्षा देना भी है। ओपिनियन ट्रेडिंग पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। दूसरी संस्थाएं भी एक्शन ले सकती हैं।
क्या MFs का ओवर-रेगुलेशन है?
इसके जवाब में सेबी प्रमुख ने कहा कि सेबी अपने रेगुलेशन की समीक्षा कर रहा है। चाहे कड़वा हो,फिर भी रिस्क को कम ना आंके। जहां जरूरत हो,वहां कड़वी दवा पीनी होगी। जहां गैर-जरूरी रेगुलेशन हैं,वहां नरमी देनी होगी। नियमों के रैशनलाइजेशन पर चर्चा कर रहे हैं। MFs के लिए सख्त इनसाइडर ट्रेडिंग नियम जरूरी हैं। MFs बड़ा फंड मैनेज करते हैं। उन पर भरोसा बने रहना जरूरी है।
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