Is Catholic Church Ready To Its First African Pope Know Why Discussion About Peter Turkson

Catholic Church Pope: शनिवार (03 मई, 2025) को पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के लिए रोम में विश्व के नेता इकट्ठे हो रहे हैं, ऐसे में कई कैथोलिक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि क्या चर्च जल्द ही अपना पहला अश्वेत पोप चुन सकता है? ईस्टर के दिन फ्रांसिस के निधन के बाद से, वेटिकन में एक नाम ध्यान खींच रहा है, वह है घाना के कार्डिनल पीटर टर्कसन.

2010 में तुर्कसन ने कहा था कि वह पोप बनने के लिए तैयार नहीं हैं और हो सकता है कि चर्च भी इसके लिए तैयार न हो. उन्होंने कहा था, “मैं पहला अश्वेत पोप नहीं बनना चाहता हूं. मुझे लगता है कि मुश्किल समय का सामना करना पड़ेगा.” लेकिन कैथोलिक आबादी में अफ्रीका का हिस्सा बढ़ रहा है. दुनिया के 1.4 बिलियन कैथोलिकों में से 20 प्रतिशत अब इस महाद्वीप पर रहते हैं, जबकि चर्च को तेजी से धर्मनिरपेक्ष होते यूरोप में अनुयायियों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अब कुछ लोगों का मानना ​​है कि पहले अश्वेत पोप के लिए यह सही समय है.

कौन हैं पीटर टर्कसन?

76 साल के कार्डिनल पीटर टर्कसन ब्रिटिश शासन के तहत गोल्ड कोस्ट के एक छोटे से शहर में पले-बढ़े. उनके 10 भाई-बहन हैं और वो चौथे नंबर पर आते हैं. उनके पिता खदान में और बढ़ई के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां बाजार में सब्जियां बेचा करती थीं. तुर्कसन ने घाना और न्यूयॉर्क में सेमिनरी में अपनी पढ़ाई की. बाद में उन्होंने रोम में बाइबिल अध्ययन किया. पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें 1992 में केप कोस्ट का आर्कबिशप बनाया और 2003 में वे घाना के इतिहास में पहले कार्डिनल बने.

जॉन पॉल के उत्तराधिकारी बेनेडिक्ट सोलहवें उन्हें 2009 में वेटिकन ले आए और उन्हें न्याय और शांति के लिए परमधर्मपीठीय परिषद का प्रमुख बना दिया. वहां वे पोप के सबसे करीबी सलाहकारों में से एक बन गये और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ आर्थिक न्याय जैसे मुद्दों पर काम करने लगे. तुर्कसन को घाना में स्थानीय मण्डलियों से मजबूत संबंध रखने और वेटिकन कार्यालयों का नेतृत्व करने का अनुभव है.

हालांकि चर्च की ओर से अपने अगले पोप को चुनने के लिए होने वाले सम्मेलन की तैयारी हो रही है लेकिन तुर्कसन एकमात्र अफ़्रीकी नाम नहीं है. साथ ही वो पहले अफ्रीकी नहीं होंगे जो पोप बनेंगे. इससे पहले 189 से 199 के दौरान उत्तरी अफ्रीका पोप विक्टर- फर्स्ट चर्च का नेतृत्व कर चुके हैं. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कैथोलिक धर्म के इतिहासकार माइल्स पैटेंडेन ने कहा, “यह भावना विकसित हो चुकी है कि अगर पोप को वैश्विक अधिकारी बनना है तो उसे वैश्विक चर्च से आना होगा.”

‘भेदभाव के बारे में तो बात ही नहीं होती’

कुछ अफ़्रीकी कैथोलिक भी खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं. नाम न बताने की शर्त पर एक कांगोली पादरी ने फ़्रांसीसी समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, “भले ही यह हमारे यूरोपीय भाइयों के बीच स्पष्ट न हो, भेदभाव अभी भी एक वास्तविकता है जिसके बारे में हम अक्सर बात नहीं करते हैं.” उन्होंने कहा कि चर्च ने प्रोग्रेस की है, लेकिन यही कारण है कि 1,500 सालों में कोई भी अफ्रीकी पोप नहीं बना.

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