Akshaya Tritiya 2025 Gold: ‘परंपरा, प्रतिष्ठा और अनुशासन’ का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के दिमाग में अमिताब बच्चन का बोला हुआ ‘मोहब्बतें’ फिल्म का डायलॉग गूंजने लगता है. लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि जब बात निवेश की होती है तब भी यह लाइन उतनी कारगर साबित होती है. अगर हम अक्षय तृतीया की बात करें तो इस मुहूर्त पर सोना खरीदना भारतीयों की परंपरा रही है. गांव हो या शहर जिनके पास सोना अधिक होता है. वह खुद को धनवान और प्रतिष्ठावान मानते हैं. सिंपल सी बात है, सोना वही अधिक रख सकता है जिसके पास उतनी संपत्ति होती है.
अब बारी आती है तीसरे शब्द की यानी अनुशासन. अनुशासन ही एक ऐसा शब्द है, जो निवेश में सबसे ज्यादा जरूरी रोल प्ले करता है. आसान भाषा में कहा जाए तो इसका मतलब नियमित निवेश जारी रखना है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने में सफल हो जाता है तो उसे लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न मिलता है. आप इसे शेयर मार्केट से लेकर म्यूचुअल फंड और गोल्ड किसी में भी फॉलो कर सकते हैं. हालांकि हम आज बात करने वाले हैं गोल्ड के बारे में कि अगर आपने पिछले 10 सालों से गोल्ड में ही अनुशासन के साथ निवेश किया होता तो आपको कितना रिटर्न मिलता.
क्या कहते हैं 10 साल के आंकड़े?
पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह परंपरा सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद साबित हुई है. एक नजर डालते हैं इन आंकड़ों पर, जो साफ तौर पर बताते हैं कि अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश करना एक मजबूत लॉन्ग टर्म के लिए रणनीति हो सकता है.
30 अप्रैल 2025 तक सोने की कीमत 94,395 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई है. अगर कोई निवेशक पिछले साल 10 मई 2024 को 72,727 रुपए के भाव पर सोना खरीदा होता, तो उसे अब तक 21.98% का शानदार रिटर्न मिल चुका होता. इसी तरह 22 अप्रैल 2023 को खरीदे गए सोने पर अब तक 17.35% का लाभ मिला है.
सबसे अधिक रिटर्न 26 अप्रैल 2020 को अक्षय तृतीया के दिन निवेश करने वालों को मिला. उस समय सोने का भाव 46,527 रुपए था, और अब तक इसमें 45.98% का दमदार उछाल आया है. यह रिटर्न कोविड महामारी के बाद वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते सोने की तेजी का परिणाम रहा.
हालांकि, हर वर्ष निवेश फायदेमंद नहीं रहा है. 28 अप्रैल 2017 को अक्षय तृतीया के दिन अगर निवेश किया गया होता, तो उस पर -0.98% का घाटा होता. लेकिन ये अपवाद रहे हैं. 10 सालों में केवल एक वर्ष में नेगेटिव रिटर्न रहा है, जबकि बाकी सालों में निवेशकों को औसतन अच्छा लाभ मिला है.
2015 से अब तक यदि कोई हर अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश करता आया है, तो उसका पोर्टफोलियो अब मजबूत स्थिति में है. सोने ने न केवल महंगाई से बचाव दिया, बल्कि भू-राजनीतिक अस्थिरता के समय में भी निवेशकों को सुरक्षित रिटर्न सुनिश्चित किया.
इस डाटा से स्पष्ट है कि अक्षय तृतीया सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि निवेश के लिहाज से भी एक उपयुक्त दिन है. लॉन्ग टर्म के नजरिए से सोने में निवेश करने वालों को यह दिन हर साल अवसर प्रदान करता है. अगर आपने अब तक इस परंपरा को अपनाया नहीं है, तो शायद अगली अक्षय तृतीया आपके लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है.
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