there was Water on Ancient Mars New Study Challenges the Cold Planet Theory

मंगल ग्रह पृथ्वी के पास मौजूद उन ग्रहों में से है जहां पर मनुष्य अपना भविष्य का निवास स्थान ढूंढ रहा है। वैज्ञानिक दिन-रात इस खोज में लगे हैं कि मंगल पर जीवन के कोई सबूत मिलें। यह लाल ग्रह बहुत ही कठोर और निर्दयी माना जाता है। यह दिन में आग जैसा गर्म और रात में बर्फ जैसा ठंडा हो जाता है। यह विशाल रेतीला-पथरीला ग्रह अपने ऊपर जीवन को पनपने की अनुमति नहीं देता है। लेकिन यह हमेशा से ऐसा नहीं था। कभी यह भी पृथ्वी की तरह नीला दिखता था और इस पर भी जीवन फल-फूल रहा था। ऐसा हम नहीं, वैज्ञानिक कह रहे हैं, आइए जानते हैं वजह। 

वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल, या लाल ग्रह, कभी पृथ्वी जैसा था। पिछले चार सालों से NASA का पर्सेवरेंस रोवर (Perseverance rover) मंगल पर उस जगह का भ्रमण कर रहा है जहां पर कभी एक क्रेटर में एक शक्तिशाली नदी आकर गिरती थी। इस नदी का एक बड़ा डेल्टा भी था। कंप्यूटर मॉडल सुझाते हैं कि प्राचीन मंगल पर अवश्य ही बर्फ गिरती होगी, बारिश होती होगी। इसने ग्रह पर सैकड़ों झीलों और नदी घाटियों का निर्माण किया होगा।  

Journal of Geophysical Research: Planets में एक हालिया स्टडी पब्लिश की गई है। इस स्टडी में पाया गया है कि ये भूमि विशेषताएं केवल बर्फ की परतों के पिघलने का परिणाम नहीं हैं बल्कि ये वर्षा मॉडल के साथ अधिक सुसंगत है। बोल्डर स्थित कोलोराडो विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्रियों के शोध के अनुसार, हमारा पड़ोसी ग्रह, जो अंतरिक्ष में औसतन 14 करोड़ मील दूर है, अरबों वर्ष पहले गर्म, और नमी से भरा था।

यह स्टडी उस मान्यता को चुनौती देती है जो कहती है कि मंगल कभी बेहद ठंडा और बर्फीला था। लेकिन इसमें अभी भी बहुत रहस्य हैं। यह अभी तक साफ नहीं है कि मंगल पर यह पानी आया कहां से था। साथ ही अधिकांश जलवायु मॉडल भविष्यवाणी करते हैं कि यहां सतह का तापमान तरल पानी को बनाए रखने के लिए बहुत ठंडा है। इससे यह सवाल उठता है कि ये दिखने वाली भूवैज्ञानिक विशेषताएं किस प्रकार बनी होंगी। नासा का पर्सेवरेंस रोवर वर्तमान में मंगल की ऐसी ही एक जगह, जेज़ेरो क्रेटर को एक्सप्लोर कर रहा है, जहां कभी एक शक्तिशाली नदी बहती थी।

कंप्यूटर आधारित मॉडल्स के दम पर वैज्ञानिक इस बात के लिए उत्साहित हैं कि क्या प्राचीन मंगल पर पृथ्वी जैसा वातावरण, या मौसम था? हालांकि अभी इस सवाल का पुख्ता जवाब देने के लिए और सबूतों की जरूरत है। जैसे कि मंगल कैसे इतना गर्म रहा होगा कि यहां बारिश हो सके, या फिर बर्फ पड़ सके? वैज्ञानिक लगातार खोज में लगे हैं और जल्द ही इस बारे में कोई नई जानकारी निकल कर सामने आ सकती है। 
 

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