Risk Management Method: भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के इस दौर में अगर आप सही रिस्क मैनेजमेंट की रणनीति अपनाते हैं तो शानदार रिटर्न कमा सकते हैं. जानकारों के मुताबिक, 2025 में कंसंट्रेटेड पोर्टफोलियो यानी चुनी हुई कंपनियों में सीमित निवेश की रणनीति काफी असरदार हो सकती है. लेकिन इसके लिए रिसर्च और अनुशासन जरूरी है.
कैसे करें जोखिम को नियंत्रित?
एक्सपर्ट की मानें तो निवेशकों को ज्यादा कर्ज वाली कंपनियों से बचना चाहिए, क्योंकि बाजार गिरावट के समय ऐसी कंपनियां दिवालिया होने के जोखिम में आ सकती हैं. साथ ही, अपने निवेश के पीछे के लॉजिक को समय-समय पर परखना चाहिए. अगर किसी कंपनी के फंडामेंटल्स कमजोर पड़ने लगें तो घाटे या कम मुनाफे के बावजूद समय पर बाहर निकलने का निर्णय लेना चाहिए. लिक्विड स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें आसानी से बेचा जा सके. 2008 के रियल एस्टेट क्रैश के दौरान कई निवेशकों को इसी वजह से नुकसान झेलना पड़ा था क्योंकि उन्होंने गलत कंपनियों में कंसंट्रेटेड दांव लगाया था.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
2025 में कंसंट्रेटेड पोर्टफोलियो की अहमियत
वर्तमान बाजार परिस्थितियों में स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक्स काफी महंगे हो गए हैं, जबकि लार्ज-कैप स्टॉक्स में मामूली ओवरवैल्यूएशन है. ऐसे में, चुनिंदा गुणवत्ता वाले स्टॉक्स में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. मेगा रिटर्न्स के लिए कम वैल्यूएशन और मार्केट में डर का माहौल चाहिए, जो फिलहाल नहीं है. इसलिए निवेशकों को स्थिर और संतुलित रिटर्न के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ना चाहिए.
सही साइजिंग और समय पर सेलिंग का महत्व
सिर्फ सही स्टॉक चुनना ही काफी नहीं है, बल्कि उसमें सही साइज का निवेश करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. साथ ही, जब स्टॉक आपके अनुमानित लक्ष्य तक पहुंच जाए, तो धीरे-धीरे मुनाफावसूली करनी चाहिए. अगर कंपनी के फंडामेंटल्स बिगड़ते हैं तो नुकसान के डर से बचने के बजाय समय रहते बाहर निकल जाना चाहिए.
Read More at www.zeebiz.com