Surgery Muhurat: सर्जरी कराने से पहले मुहूर्त, दिन और नक्षत्र आदि की स्थिति देखने की परंपरा आमतौर पर पारंपरिक मान्यताओं से जुड़ी हुई और इसका चिकित्सीय या फिर वैज्ञानिक संबंध नहीं है.
पौराणिक और सांस्कृतिक पंरपरा होने के साथ ही आजकल मुहूर्त, दिन और नक्षत्र आदि देखकर सर्जरी कराने का चलन तेजी से बढ़ा है. खासकर सी-सेक्शन (सिजेरियन से बच्चे को जन्म देना) में ऐसा अधिक देखा जाता है कि, जब तक कोई मेडिकल इमरजेंसी न हो तो लोग शुभ-मुहूर्त, दिन आदि ज्योतिष से निकलवाकर ऑपरेशन करवाते हैं. ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में जन्मे बच्चे का भाग्य उज्जवल होता है.
मंगल है सर्जरी का कारक
इसके अलावा आंख, कान, पेट, हृदय आदि जैसी अन्य शीरीरिक समस्याओं में भी कई तरह की सर्जरी कराई जाती है. चिकित्सीय प्रकिया वैसे तो डॉक्टरी परामर्श से ही करनी चाहिए. लेकिन कई बार लोग मुहूर्त या दिन देखकर भी सर्जरी कराते हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, सर्जरी का कारक मंगल होता है. यदि कुंडली में मंगल पाप या अशुभ प्रभाव में हो तो सर्जरी होने की संभावना अधिक रहती है.
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि, बीमारी से लेकर सर्जरी तक ग्रहों का प्रभाव पड़ता है. जैसे हार्ट अटैक या हृदय रोग का संबंध सूर्य, न्यूरो का बुध, खांसी-कफ का संबंध चंद्र से होता है वहीं मधुमेह का संबंध गुरु से होता है. जिस प्रकार रोग का संबंध ग्रह से होता है, उसी अनुसार अगर इसका इलाज भी यदि ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर कराया जाए तो ऑपरेशन सफल होने की संभावना रहती है. इसलिए ज्योतिष में बताया गया है कि ऑपरेशन या सर्जरी के लिए कौन से मुहूर्त और तिथियां शुभ होते हैं.
सर्जरी के कौन से दिन शुभ और कौन से अशुभ
- अमावस्या औ पूर्णिमा तिथि पर सर्जरी कराने से बचना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इन तिथियों में चुंबकीय शक्ति अधिक होती है, जिससे जटिलताएं अधिक आती है. वहीं नवमी और दशमी तिथि को सर्जरी कराने के लिए शुभ माना जाता है.
- चंद्रमा जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि में हो तब भी सर्जरी कराना शुभ होत है.
- सूर्य और चंद्रमा के गोचर से संबंधित अंग की सर्जरी से बचना चाहिए. जैसे सूर्य अगर वृषभ राशि से गोचर करे तो इस समय गले से संबंधित सर्जरी से बचना चाहिए.
- मंगल और बुध के वक्री होने पर सर्जरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मंगल सर्जन और बुध संचार के स्वामी हैं.
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