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Shani Dev: हिंदू धर्म और वेदिक ज्योतिष में शनि देव को न्याय के देवता माना गया है. शनि महाराज जब किसी जातक की कुंडली में अशुभ होते हैं, तो वह व्यक्ति जीवन में कठिन संघर्ष, मानसिक तनाव, आर्थिक परेशानी और सामाजिक अपमान का सामना करता है. विशेष रूप से साढ़े साती और ढैय्या के समय व्यक्ति की परीक्षा होती है. लेकिन ज्योतिष शास्त्रों में शनि के प्रकोप से बचने और कृपा प्राप्त करने के अचूक उपाय भी बताए गए हैं. जिन्हे यदि जान लिया शनिवार के दिन कर लिया तो शनि प्रसन्न ही नहीं होंगे बल्कि आपके दूख-दर्द मिट जाएंगे. 

साढ़े साती और ढैय्या क्या है? (Shani Sade sati and Dhaiya)

  1. साढ़े साती: जब शनि देव किसी राशि से पहले, उस राशि में और बाद की राशि में गोचर करते हैं, तो यह कुल साढ़े सात वर्षों का काल होता है, जिसे साढ़े साती कहा जाता है. यह जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण समय होता है.
  2. शनि की ढैय्या: जब शनि किसी राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में गोचर करते हैं, तो यह अवधि ढाई वर्षों की होती है, जिसे ढैय्या कहा जाता है.

वर्तमान में किन राशियों पर शनि की साढ़े साती और ढैय्या है?
अभी शनि की साढ़े साती कुंभ, मीन, और मेष राशि पर चल रही है, मेष राशि पर इसी वर्ष यानि 2025 से ही साढ़े साती का पहला चरण आरंभ हुआ है. वहीं शनि की ढैय्या सिंह राशि और धनु राशि पर चल रही है.

पिशाच योग और विष योग से सावधान

  • पिशाच योग (Pishach Yog): यदि कुंडली में शनि और राहु या केतु एक साथ स्थित हों, विशेषकर लग्न या पंचम भाव में, तो यह पिशाच योग बनाता है. यह योग व्यक्ति को मानसिक अशांति, भय और असामान्य अनुभवों से ग्रस्त करता है.
  • विष योग (Vish Yog): चंद्र और शनि की युति से विष योग बनता है. यह योग जातक के मन में निराशा, चिंता और उदासी भर देता है. खासतौर पर जब यह योग चंद्रमा की महादशा या शनि की दशा में सक्रिय होता है, तब जीवन की चुनौतियां बढ़ जाती हैं.

शनि के उपाय (Shani Ke Upay)
शनि यदि मारकेश है, या जीवन में अशुभ फल दे रहा है तो ज्योतिष ग्रंथों में कुछ उपाय भी बताए गए हैं. बृहत पाराशर होरा शास्त्र और फलदीपिका में इन योगों का उल्लेख है और इनके दुष्परिणामों से बचने के लिए उपाय दिए गए हैं.

शनि मंत्र का जाप (Shani Mantra)

|| ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ||

इस मंत्र का शनिवार को 108 बार जाप करें. यह शनि की कृपा पाने का प्रमुख साधन है.

  • तिल और तेल का दान (Til Ka Dan): शनिवार को काले तिल, सरसों के तेल, लोहे और काले वस्त्रों का दान करें. यह शनि के दुष्प्रभाव को कम करता है.
  • पीपल की पूजा (Pipal Puja): पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें. साथ ही शनि मंत्र का जाप करते रहें.
  • शनि मंदिर दर्शन (Shani Mandir): शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र) जैसे प्राचीन शनि मंदिरों में दर्शन कर सकते हैं या घर के पास स्थित शनि मंदिर में जाकर तेल चढ़ाएं.
  • काले कुत्ते, कौवे या भिखारियों को भोजन: शनिवार को इनको भोजन कराने से शनि प्रसन्न होते हैं.
  • हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa): शनि देव, हनुमान जी के परम भक्त हैं. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ शनि दोष को शांत करता है.

शनि की कृपा कैसे पाएं?
शनि (Shani Dev) कठोर जरूर हैं, लेकिन न्यायप्रिय भी हैं. यदि आपने जीवन में सत्य के मार्ग को अपनाया है, परिश्रमी हैं, और दूसरों के साथ न्याय करते हैं, तो शनि आपको उन्नति और प्रसिद्धि भी देते हैं. जैमिनी सूत्र, ज्योतिषरत्नमाला जैसे ग्रंथों में शनि की कृपा से मिलने वाली उच्च पदस्थ स्थितियों, प्रशासनिक सफलता और गंभीर विद्या के वरदान का उल्लेख मिलता है.

शनि देव का भय नहीं, बल्कि उनका सम्मान करें. विनती से अधिक आवश्यक है, कर्म, नियम और उपाय. शनिवार को बताए गए उपाय अपनाकर शनि की दशा को शुभ फल में बदल सकते हैं. यदि कुंडली में साढ़े साती, ढैय्या, पिशाच योग या विष योग जैसे अशुभ योग हैं, तो प्रमाणित ज्योतिषी से परामर्श लें और नियमित उपायों को जीवन का हिस्सा बनाएं.

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