अधूरा रह गया मनीष के परिजनों का सपना, आधे रास्ते में आया बहू का फोन- वे दुनिया में नहीं रहे

अमर देव, पुरुलिया

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के झालदा निवासी आईबी अधिकारी मनीष रंजन की भी पहलगाम आतंकी हमले में मौत हो गई। मनीष ने अपनी 60 वर्षीय मां आशा मिश्रा, पिता डॉ. मलेश्वर कुमार मिश्रा, अपने भाई विनीत मिश्रा और राहुल मिश्रा, उनकी पत्नियों और बच्चों को कश्मीर घूमने बुलाया था। परिजन वाहन लेकर उनके पास जा रहे थे, लेकिन परिवार को झारखंड के डालटेनगंज से वापस लौटना पड़ा। रास्ते में उनके मोबाइल पर एक अनजाने नंबर से फोन आया। फोन मनीष की पत्नी जया मिश्रा ने किया था। उन्होंने दो शब्दों में कहा कि मनीष अब इस दुनिया मे नहीं रहे। आतंकियों ने उन्हें मार दिया और वह फफक-फफककर कर रोने लगी। इसके बाद फोन कट गया।

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परिजनों में मची चीख-पुकार

फोन कटने के बाद परिजनों में भी शोक की लहर दौड़ गई। रोते-बिलखते परिजन झारखंड के डालटेनगंज से वापस रवाना हो गए। इस बीच परिवार को पूरे रास्ते में आतंकियों की क्रूरता की कहानी मीडिया के माध्यम से सुनने को मिलती रही। उनको यह भी पता चला कि आतंकियों ने मनीष को घुड़सवारी करने के दौरान गोलियों से छलनी कर दिया।

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साथ में यह भी पता चला कि 10 मिनट के बाद उनका घुड़सवारी का समय भी समाप्त हो जाता, ऐसे में अगर हमला देरी से होता तो उनकी जान बच सकती थी। मनीष के जाने के बाद इलाके में शोक की लहर है।

परिवार ने खोया बेटा

मनीष पूरे परिवार का सहारा थे। परिवार ने अपना बड़ा बेटा खो दिया है। मनीष के पिता झालदा के हिंदी स्कूल में टीचर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद मनीष ही परिवार के सभी फैसले लेते थे। पिता हार्ट पेशेंट हैं, उनकी बाईपास सर्जरी हुई है, वे लंबे समय से बेड रेस्ट पर हैं। मनीष अपनी पत्नी और बच्चे के साथ हैदराबाद में ही रहते थे।

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वे हैदराबाद से पहलगांव घूमने के इरादे से पहुंचे थे और उन्होंने अपने परिजनों को भी कश्मीर घूमने बुलाया था। परिवार का सपना था कि सभी एक साथ कश्मीर की वादियों में घूमेंगे, लेकिन सैर-सपाटे का सपना ही नहीं टूटा, परिवार ने बेटा खो दिया। मनीष की मौत की सूचना के बाद घर में नेताओं, सगे-संबंधियों का आना-जाना लगा है।

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Apr 23, 2025 18:29

Edited By

Parmod chaudhary

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