Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया. पूरी दुनिया में इस घटना की निंदा हो रही है. ज्योतिष के माध्यम से इस घटना को समझते हैं कि इस हमले के बाद ग्रहों की चाल क्या संकेत दे रही है.
22 अप्रैल 2025 को आकाश में एक अत्यंत दुर्लभ और शक्तिशाली योग बना था. मंगल इस दिन नीच का होकर कर्क राशि में था, जो आतंक, युद्ध और उग्रता का संकेत देता है. मंगल की यह स्थिति सेना, पुलिस और सुरक्षा से जुड़े मामलों को सीधा प्रभावित करती है. वहीं आतिचारी गुरु का योग भी बना है जो शासन, सत्ता के लिए चुनौती पैदा करने जैसी स्थितियों का निर्माण किया. ग्रहों का ये संयोग आने वाले दिनों में शासन-सत्ता के लिए बड़े चैलेंज की तरफ इशारा कर रहा है.
पिशाच योग और आतंकी घटनाएं- ज्योतिषीय ग्रंथों में वर्णित पिशाच योग तब बनता है जब राहु, शनि और मंगल परस्पर दृष्टि या युति में हों. इस दिन यानि 22 अप्रैल को राहु और शनि एक ही राशि मीन में थे. मंगल कर्क में नीचस्थ था और दृष्टि से राहु को देख रहा था.
बृहज्जातक और कालामृतम् में कहा गया है, ‘जब राहु, शनि, और मंगल पाप दृष्टि या युति में हों, तब पिशाच योग बनता है, जो हिंसा, छाया युद्ध और आतंकी गतिविधियों का कारण बनता है.’
पहलगाम की घटना, क्या यह किसी युद्ध का संकेत है?
ज्योतिष की मानें तो जब भी इस प्रकार के योग बनते हैं, तब भारत या पड़ोसी देशों में बड़ी सैन्य हलचलें होती हैं. उदाहरण के लिए 1999 करगिल युद्ध के समय भी राहु-मंगल की दृष्टि और पिशाच योग बना था. वहीं 2019 में पुलवामा हमले के समय शनि धनु राशि में शुक्र के साथ युति बनाकर बैठा था वहीं और मंगल मेष राशि में गोचर कर रहा था.
2025 में भी यह संयोग बेहद संवेदनशील है. विशेषकर शनि और राहु की युति, मंगल का नीचस्थ होना, और गुरु-यूरेनस का वृषभ में होना, यह संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में भारत की सैन्य नीति में कड़ा और निर्णायक कदम देखने को मिलेगा.
मंगल, राहु और केतु जैसे ग्रहों की स्थिति अशुभ है, तो इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति की संभावना बनी हुई है. इसलिए, सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. क्योंकि राहु और केतु ये दोनों ही ग्रह धोखा देने में माहिर माने जाते हैं. इसलिए बहुत सूझबूझ के साथ सभी मोर्चे पर रणनीति बनाकर कार्य करना होगा. शनि देव यहां गंभीरता प्रदान कर रहे हैं. इसलिए भारत गंभीरता के साथ इस स्थिति से निपटेगा. उसे महत्वपूर्ण देशों का सहयोग भी प्राप्त होगा.
भारत का अगला कदम क्या हो सकता है?
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो मंगल ग्रह जो भारत की कुंडली में दूसरे भाव में विराजमान है, वर्तमान समय में मंगल नीच का होकर गोचर कर रहा है, कूटनीति और आपसी संबंधों में तल्खी पैदा करता दिख रहा है. इसलिए आने वाले दिनों में ‘कार्रवाई पहले, बातचीत बाद में’ जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है. फिलहाल ग्रहों की स्थिति ये स्पष्ट संकेत कर रही है, समय लग सकता है लेकिन ‘सबका हिसाब’ होगा.
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