उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर कपिल सिब्बल का पलटवार, बोले- न संसद-न सुप्रीम कोर्ट, सर्वोच्च तो सिर्फ…

नई दिल्ली। देश की न्यायापलिका और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्रों को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने मंगलवार को  कहा कि संविधान की मूल भावना के ‘अंतिम स्वामी’ चुने हुए जनप्रतिनिधि होते हैं और संसद से ऊपर कोई भी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई भी संवैधानिक पदाधिकारी जब कुछ कहता है, तो वह बात देश के सर्वोच्च हित को ध्यान में रखकर कही जाती है।

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 कपिल सिब्बल का पलटवार

धनखड़ के बयान पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) के अध्यक्ष ने कहा कि “कानून: न तो संसद सर्वोच्च है और न ही कार्यपालिका। संविधान सर्वोच्च है। संविधान के प्रावधानों की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा की जाती है। इस देश ने अब तक कानून को इसी तरह समझा है।” हालांकि, कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने अपने पोस्ट में उपराष्ट्रपति का नाम नहीं लिया। कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले, जिनकी कुछ भाजपा नेताओं और उपराष्ट्रपति ने आलोचना की है, हमारे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप हैं और राष्ट्रीय हित से प्रेरित हैं।

कपिल कहा कि सर्वोच्च न्यायालय: संसद के पास कानून पारित करने का पूर्ण अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय का दायित्व संविधान की व्याख्या करना और पूर्ण न्याय करना है (अनुच्छेद 142)। न्यायालय ने जो कुछ कहा है, वह: 1 -हमारे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है 2 -राष्ट्रीय हित से प्रेरित है।

धनखड़ ने क्या की थी SC पर टिप्पणी ?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  की एक बेंच ने हाल में कहा था कि राज्यपाल अगर कोई विधेयक राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजते हैं, तो राष्ट्रपति को उस पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के इस फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने टिप्पणी की थी। धनखड़ ने कहा था कि हम ऐसी स्थिति नहीं ला सकते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिया जाए। संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  का अधिकार केवल अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है।

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