सोने की बढ़ती कीमत के बीच देश को मिला दूसरा गोल्ड! वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने क्यों कहा- ये है असली फ्यूचर? Vedanta Chairman Anil Agarwal: सोने की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के बीच अब एक और धातु ने निवेशकों का ध्यान खींचा है – और वो है तांबा. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तांबे को “अगला सोना” बताते हुए इसे भारत के लिए भविष्य की चाबी बताया है. एप में देखें

Vedanta Chairman Anil Agarwal: सोने की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी के बीच अब एक और धातु ने निवेशकों का ध्यान खींचा है – और वो है तांबा. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने तांबे को “अगला सोना” बताते हुए इसे भारत के लिए भविष्य की चाबी बताया है. उनका मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और डिफेंस जैसे उभरते क्षेत्रों में तांबे की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसी वजह से यह सुपर मेटल के रूप में उभर रहा है.

अग्रवाल ने क्या कहा?

हाल ही में अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक फोटो शेयर की जिसमें साफ-साफ लिखा, “कॉपर अगला गोल्ड है.” उन्होंने बताया कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गोल्ड प्रोड्यूसर कंपनी Barrick Gold ने अब सिर्फ Barrick नाम अपनाया है, क्योंकि कंपनी का फोकस अब तांबे की माइनिंग पर है. इसका सीधा संकेत है कि ग्लोबल स्तर पर भी तांबे की मांग को लेकर गंभीरता बढ़ रही है.

अभी भारत में क्या है तांबे का हाल?

भारत में फिलहाल तांबे के उत्पादन की बात करें तो हालात चुनौतीपूर्ण हैं. वर्तमान में देश में हिंदुस्तान कॉपर और हिंडाल्को जैसी कंपनियां ही इसका उत्पादन कर रही हैं, जबकि साल 2018 में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट के बंद होने के बाद से तांबे का आयात तेजी से बढ़ा है. यह प्लांट अकेले सालाना 4 लाख टन तांबा उत्पादन करता था. वर्तमान में भारत की रिफाइंड कॉपर उत्पादन क्षमता 5.55 लाख टन है, जबकि घरेलू खपत 7.5 लाख टन से ज्यादा है. ऐसे में देश को हर साल करीब 5 लाख टन तांबा आयात करना पड़ता है.

तांबे को मिशन मोड में क्यों लेना चाहिए?

अनिल अग्रवाल का कहना है कि यह समय है जब भारत को तांबे को “मिशन मोड” में लेना चाहिए. उन्होंने युवा उद्यमियों और निवेशकों से अपील की है कि वे इस क्षेत्र में कदम बढ़ाएं क्योंकि आने वाले वर्षों में इसमें भारी ग्रोथ की संभावना है. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, 2030 तक भारत में तांबे की मांग दोगुनी हो सकती है. बता दें कि भारत सरकार ने वर्ष 2023 में तांबे को 30 महत्वपूर्ण खनिजों में शामिल किया था. आज जहां भारत में प्रति व्यक्ति तांबे की खपत केवल 0.6 किलोग्राम है, वहीं वैश्विक औसत 3.2 किलोग्राम है. ऐसे में घरेलू उत्पादन को बढ़ाना देश की आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के लिए बेहद जरूरी हो गया है.

 

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