अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के बावजूद इंडियन स्टॉक मार्केट्स में स्ट्रॉन्ग रिकवरी देखने को मिली। इंडियन मार्केट्स में 2 अप्रैल को अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद आई गिरावट ज्यादातर गिरावट की भरपाई हो गई है। 2 अप्रैल को दुनियाभर के स्टॉक मार्केट्स में बड़ी गिरावट आई थी। दुनिया के दूसरे खासकर अमेरिकी मार्केट्स के मुकाबले इंडियन मार्केट्स में तेज रिकवरी आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से अमेरिकी मार्केट्स को फायदा होगा। सवाल है कि क्या सच में ऐसा है?
बड़े बैंकों को अमेरिकी मार्केट्स में गिरावट की आशंका
Citigroup ने इस साल अमेरिकी मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक S&P500 के लिए टारगेट घटा दिया है। उसका मानना है कि टैरिफ से अनिश्चितता का जो माहौल बना है, उसका असर अमेरिकी कंपनियों के प्रॉफिट पर पड़ेगा। अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स के प्रमुख सूचकांक का टारगेट सिर्फ सिटीग्रुप ने नहीं घटाया है। Goldman Sachs और Bank of America ने भी एसएंडपी500 के टारगेट को घटाकर 6000 से नीचे कर दिया है। सिटीग्रुप ने टारगेट 6,500 से घटाकर 5,800 किया है। उसने इसके अर्निंग्स प्रति शेयर (EPS) के अनुमान को भी 270 डॉलर से घटाकर 255 डॉलर किया है।
टैरिफ की वजह से अनिश्चितता की स्थिति
सिटी के एक एनालिस्ट ने कहा कि टैरिफ और इकोनॉमी में सुस्ती के संकेतों को देखते हुए अमेरिकी मार्केट के सूचकांक के टारगेट में बदलाव किया गया है। उसने कहा है कि अगर पॉलिसी के मामले में अनिश्चितता बनी रहती है तो वैल्यूएशन में भी कमी देखने को मिल सकती है। अमेरिकी टैरिफ का कंपनियों की अर्निंग्स पर खराब असर पड़ने का अनुमान है। डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी को लेकर अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस वजह से अनिश्चितता काफी बढ़ गई है।
दुनियाभर पर पड़ेगा ट्रंप के टैरिफ का असर
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का असर यूरोप, चीन, हांगकांग सहित कई देशों पर पड़ने वाला है। सबसे ज्यादा नुकसान इससे खुद को अमेरिका को होगा। यही वजह है कि दुनिया के ज्यादातार मार्केट्स के सूचकांक 2 अप्रैल के लेवल से नीचे चल रहे हैं। हालांकि, चीन ने सरकारी तंत्र के इस्तेमाल से नुकसान की काफी हद तक भरपाई की है। चाइना इक्विटी फंडों में दूसरा सबसे बड़ा नेट इनफ्लो देखने को मिला है।
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