अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब 2 अप्रैल को सभी देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किए, तो दुनिया भर के शेयर बाजार हिल गए… लेकिन एक देश ऐसा रहा जो मजबूती से खड़ा रहा – और वो है अपना भारत! भारतीय शेयर बाजार ने 2 अप्रैल के बाद हुए सभी नुकसान की न सिर्फ भरपाई कर ली है, बल्कि अब यह उससे ऊपर निकल गया है। पूरी दुनिया में यह इसका इकलौता शेयर बाजार है, जिसके निवेशक 2 अप्रैल के बाद से मुनाफे में हैं। भारत के मुकाबले बाकी दुनिया के शेयर बाजार का क्या हाल है, आइए जानते हैं।
सेंसेक्स और निफ्टी में 2 अप्रैल के बाद से करीब 2.5 फीसदी की तेजी आई है। अमेरिकी डॉलर में देखें तो भी इन दोनों इंडेक्स का रिटर्न करीब 2 फीसदी है। वहीं अमेरिका, यूरोप और एशिया के बाजार अब भी नुकसान में हैं। सिर्फ इस हफ्ते की बात करें तो, निफ्टी में 4 फीसदी और पिछले 5 दिन में इसमें 6.5 फीसदी की उछाल आई। जबकि इसके मुकाबले चीन के शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में इस दौरान महज 2 फीसदी और जापान के निक्केई इंडेक्स में सिर्फ 1.3 फीसदी की ही तेजी देखने को मिली।
अमेरिका का S&P 500 इंडेक्स तो इसी अवधि में 1.4% नीचे लुढ़का है। इतना ही नहीं, पूरे दुनिया के 16 सबसे बड़े शेयर बाजारों में भारत इकलौता ऐसा देश है, जहां का शेयर मार्केट ने 2 अप्रैल के बाद के लगे झटके की भरपाई कर ली है।
अगर हम दुनिया के सबसे बड़े शेयर मार्केट अमेरिका की बात करें तो, ट्रंप के ऐलानों के बाद वहां का S&P 500 इंडेक्स 7 फीसदी और डाउ जोन्स इंडेक्स 6 फीसदी तक टूट चुका है। यूरोपीय शेयर बाजारों में कुछ ऐसी ही गिरावट आई है। फ्रांस का CAC इंडेक्स 7.5% और जर्मनी का DAX इंडेक्स 5.4 फीसदी तक गिर चुका है।
यहां तक कि एशियाई बाजारों में गिरावट देखने को मिली है। चीन का CSI 300 इंडेक्स 2 अप्रैल के बाद से अबतक 3.9 फीसदी, हांगकांग का हैंगसैंग इंडेक्स 7.8 फीसदी और ताइवान का स्टॉक एक्सचेंज 8.4 फीसदी तक टूट चुका है। जापान के निक्केई में 3.8 फीसदी की गिरावट आई है और साउथ कोरिया का कोस्पी इंडेक्स अभी भी 1.4 नीचे हैं। इंडोनेशिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड और ब्राजील के शेयर बाजार भी 2 अप्रैल के बाद से अबतक लाल निशान में हैं।
तो सवाल ये है — जब पूरी दुनिया का बाजार हिला पड़ा, तो भारत कैसे बचा रहा? जवाब है – भारत का मजबूत घरेलू डिमांड और सरकार की ओर से अपनाई सूझबूझ भरी कूटनीति।
एलकेमी कैपिटल के डायरेक्टर हिरेन वेद ने बताया कि भारतीय शेयर बाजार में तेजी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक ट्रेड डील होने की संभावना जताई जा रही है। भारत ने अमेरिका के टैरिफ के जवाब में कोई भी आक्रामक रुख नहीं अपनाया। न ही कोई जवाबी टैक्स लगाया, और न ही सार्वजनिक रूप से इसकी आलोचना की। इससे अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की उम्मीद बढ़ी है। इसके चलते भारत को बातचीत में सफलता मिलती दिख रही है और जल्द ही दोनों देशों के बीच एक समझौता होता हुआ दिखा सकता है।
इसके अलावा भारत सरकार ने व्यापार से जुड़े तनाव को कम करने के लिए भी कदम उठाए हैं। सरकार ने अमेरिका से इंपोर्ट होकर आने वाली महंगी बाइक्स पर 30%, बोर्बन व्हिस्की पर 150% से 100%, और टेलिकॉम इक्विपमेंट्स पर टैरिफ 20% से घटाकर 10% कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच भरोसे की नींव और मजबूत हुई है।
इस सबके बीच क्रूड ऑयल के दाम में भी गिरावट आई है, जिससे महंगाई के मोर्चे पर राहत मिली है और भारतीय इकोनॉमी को फायदा पहुंचा है। इन सब वजहों से भारतीय शेयर बाजार को अपने नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली है।
लगभग सभी मार्केट्स एक्सपर्ट्स की इस मामले में एक राय है कि भारतीय इकोनॉमी काफी हद तक घरेलू कंज्म्प्शन पर आधारित है, जिसके चलते ग्लोबल ट्रेड वार का इसके ऊपर काफी असर पड़ने की उम्मीद है। इसी वजह से विदेशी निवेशक भी पिछले कुछ कारोबारी दिनों से भारत में वापस आते दिख रहे हैं, जो शेयर बाजार को ऊपर ले जा रहा है।
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