FY25 में NSE पर जुड़े 84 लाख नए डीमैट अकाउंट, महिलाओं की भागीदारी में भी बड़ा उछाल – nse adds 84 lakh demat accounts in fy25 women investors rise sharply

Demat Accounts: वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की कैपिटल मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी में बड़ा उछाल आया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इस अवधि में 84 लाख से अधिक नए एक्टिव डीमैट अकाउंट जोड़े। यह सालाना आधार पर 20.5% की ग्रोथ है।

मार्च 2025 के अंत तक NSE पर कुल सक्रिय डीमैट खातों की संख्या 4.92 करोड़ तक पहुंच गई। यह संख्या जनवरी 2025 में 5.02 करोड़ के शिखर पर थी, लेकिन अंतिम दो महीनों में बाजार में अस्थिरता के कारण इसमें हल्की गिरावट देखी गई।

Groww ने जोड़े सबसे अधिक इन्वेस्टर्स

ब्रोकरेज इंडस्ट्री में Groww ने सबसे तेज ग्रोथ दर्ज की। उसने खुदरा निवेशक आधार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। मार्च 2024 में Groww के पास 95 लाख एक्टिव यूजर थे। वहीं, मार्च 2025 तक यह संख्या बढ़कर 1.29 करोड़ हो गई। यह सालाना आधार 36% की तेज वृद्धि है।

Groww का मार्केट शेयर भी इसी अवधि में 23.28% से बढ़कर 26.26% हो गया। इसका मतलब है कि Groww की कुल नए खातों में से 40% से अधिक की अकेले हिस्सेदारी है।

अन्य प्रमुख ब्रोकरेज फर्मों का प्रदर्शन

  • Angel One ने 14.6 लाख सक्रिय अकाउंट जोड़े, और NSE की कुल वार्षिक वृद्धि में 17.38% का योगदान दिया।
  • Zerodha ने 5.8 लाख नए खातों के साथ 6.9% हिस्सेदारी हासिल की।
  • FY25 के अंत तक Angel One का मार्केट शेयर 15.38% और Zerodha का 16% रहा।

छोटे शहरों और युवाओं की बढ़ती मौजूदगी

FY25 के आंकड़े भारत में खुदरा निवेश की बदलते स्वभाव की झलक मिलती है। अब निवेशकों की बड़ी संख्या युवा, डिजिटल-फ्रेंडली और टियर II, III और IV शहरों से आ रही है। यह बदलाव न केवल भौगोलिक फैलाव को दिखाता है, बल्कि तकनीक की मदद से वित्तीय बाजारों में पहुंच को भी उजागर करता है।

पूरे उद्योग में औसत मासिक ग्रोथ रेट 1.74% रही, हालांकि कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स इससे तेजी से आगे बढ़े।

महिलाओं की भागीदारी में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

FY25 में एक और महत्वपूर्ण ट्रेंड यह रहा कि महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। आंकड़ों के अनुसार, हर चार में से एक नया डीमैट अकाउंट महिला निवेशक के नाम पर खोला गया। इसे भारत में वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है।

इससे यह संकेत मिलता है कि पूंजी बाजारों में अब केवल पारंपरिक निवेशक ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी सशक्त रूप से आगे बढ़ रही हैं। यह ट्रेंड भविष्य में और मजबूत होने की उम्मीद है।

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