Scientists Finally Discover a Day Lasts on Uranus 17 hours complete one revolution in 84 years

हमारे सौरमंडल में मौजूद ग्रहों की परिक्रमा और घूर्णन का अपना अपना एक अलग समय है। पृथ्वी अपनी धुरी पर एक निश्चित समय में एक घूर्णन या, रोटेशन पूरा करती है। इसी तरह सौरमंडल के अन्य ग्रह भी एक निश्चित समय में अपनी धुरी पर घूमते हैं। इसी से तय होता है कि किसी ग्रह पर एक दिन कितना लम्बा हो सकता है। सौरमंडल के ग्रह यूरेनस के लिए एक दिन की अवधि का पता लगाना वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बना हुआ था। आखिरकार, अब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने सटीक अंदाजा लगा लिया है कि यूरेनस पर एक दिन कितने घंटे का होता है। 

यूरेनस पर दिन की लम्बाई पृथ्वी के दिन से कम निकल कर आई है। पृथ्वी पर एक दिन की लम्बाई 24 घंटे कही जाती है। लेकिन यूरेनस पर एक दिन की लम्बाई 17 घंटे से कुछ ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) द्वारा इकट्ठा किए गए दशकों के डेटा को खंगाला, जिससे पता लग पाया कि यूरेनस (Uranus) पर एक दिन 17 घंटे, 14 मिनट, और 52 सेकंड लम्बा होता है। NASA के स्पेसक्राफ्ट Voyager 2 ने भी 1980 के दशक में इसके समय का अनुमान लगाया था। Voyager 2 द्वारा बताया गया समय इससे 28 सेकंड कम था। यानी ताजा आंकडों के अनुसार यूरेनस को एक रोटेशन पूरा करने में 28 सेकंड ज्यादा लगते हैं। यह अनुमान ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र और वहां से आने वाली रेडियो तरंगों को मापकर लगाया गया है। 

रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस में Paris Observatory में लॉरेंट लैमी के नेतृत्व वाली टीम ने ऑरोरा अवलोकन के दस साल के रिकॉर्ड की जांच की। जांच के माध्यम से टीम ने ग्रह के चुंबकीय ध्रुवों का पता लगाया। इतनी लम्बी ऑब्जर्वेशन ने ग्रह के सटीक घूर्णन अवधि की जानकारी दी। यानी यूरेनस को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 84 पृथ्वी वर्ष (Earth years) लगते हैं। सूरज का एक चक्कर लगाने में यह ग्रह 84 साल ले लेता है जिसमें किसी इंसान की पूरी उम्र बीत सकती है। 

वैज्ञानिकों के लिए यह समय पता लगा पाना किसी चुनौती से कम नहीं था। क्योंकि मंगल और पृथ्वी के विपरीत यहां प्रचंड तूफान चलते रहते हैं। जिनके कारण सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रहों के रोटेशन टाइम की पहचान करना कहीं अधिक मुश्किल हो जाता है। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि पृथ्वी की तुलना में यूरेनस प्रभावी रूप से “लेटकर” घूमता है। इस दौरान इसके चुंबकीय ध्रुव एक विशाल वृत्त बनाते हैं। यानी पृथ्वी अपनी धुरी पर थोड़ी झुकी हुई घूमती है लेकिन यूरेनस उससे कहीं ज्यादा लेटकर इसका चक्कर लगाता है। 
 

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