3 secrets hidden in kundli determine direction person’s future

Kundli: क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी किस्मत का ताला किस ग्रह के पास है? क्या कारण है कि कोई व्यक्ति बचपन से संघर्ष करता है और कोई जन्म से ही सौभाग्य का वरदान लेकर आता है? इन सवालों का जवाब छिपा होता है आपकी जन्म कुंडली (Kundli) में, एक ऐसा रहस्यमय नक्शा, जो आपके भविष्य की पटकथा पहले ही लिख चुका होता है. कुंडली में छिपे वो तीन गुप्त राज जो तय करते हैं कि आपकी लाइफ (Life) संघर्ष से भरी होगी या सफलता (Success) से भरी.

राज 1: लग्न और लग्नेश-जीवन की नींव
लग्न यानी आपके जन्म के समय पूर्व दिशा में उदित राशि, और लग्नेश यानी उस राशि का स्वामी ग्रह. लग्न को कुंडली की पहला भाव और लग्नेश को लग्न का स्वामी कहते हैं. यह दोनों ही मिलकर आपके व्यक्तित्व, आत्मबल और जीवन के आरंभिक संकेत तय करते हैं.

अगर लग्नेश शुभ, उच्च का या केंद्र/त्रिकोण में हो, तो व्यक्ति में आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और नेतृत्व की विशेषता होती है. यदि लग्नेश नीच, अस्त या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति को अपनी पहचान बनाने में कठिनाई होती है.

उदाहरण: तुला लग्न में यदि शुक्र उच्च का होकर दशम भाव में बैठा हो, तो व्यक्ति सुंदरता, कला, फैशन या प्रशासन से जुड़ा होकर समाज में ख्याति अर्जित करता है.

राज 2: भाग्य भाव और नवमेश – कब साथ देगा भाग्य?
नवम भाव को ही भाग्य भाव कहते हैं. यह तय करता है कि आपके जीवन में कितनी जल्दी और कितनी बार भाग्य आपका साथ देगा. कुंडली के इस भाव को धर्म का भाव भी कहते हैं. ये कुंडली का बेहद महत्वपूर्ण भाव होता है. गुरु, सूर्य या चंद्रमा यदि नवम भाव में शुभ स्थिति में हों, तो व्यक्ति को जीवन में कई बार चमत्कारिक अवसर मिलते हैं.

यदि नवम भाव में राहु, केतु या शनि जैसे पाप ग्रह हों, तो भाग्य देरी से साथ देता है या अचानक बड़े नुकसान की संभावना रहती है. रहस्य यही है, मेहनत सभी करते हैं, लेकिन जिसका नवम भाव बलवान होता है, वही समय से पहले सफलता पाता है.

राज 3: ग्रहों की दशा और महादशा – सितारा कब चमकेगा?
आपकी कुंडली में योग तो बन सकते हैं, लेकिन फल कब मिलेगा, ये दशा तय करती है. विंशोत्तरी दशा प्रणाली के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की क्रमशः दशाएं चलती हैं, यही दशाएं तय करती हैं कि किस समय कौन-सा राजयोग या विपरीत योग सक्रिय होगा.

अगर महादशा का स्वामी शुभ ग्रह है और कुंडली में अच्छा स्थान रखता है, तो व्यक्ति को तेजी से उन्नति मिलती है.
वहीं, अशुभ दशा में अच्छे योग भी निष्क्रिय हो जाते हैं.

उदाहरण: अगर सूर्य की महादशा शुरू होती है और सूर्य कुंडली में दशम भाव का स्वामी होकर उच्च का है, तो सरकारी नौकरी, प्रसिद्धि और पद मिलना लगभग तय होता है.

कुंडली क्या है?
कुंडली कोई सामान्य कागज़ नहीं, यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा का रोडमैप है. हर इंसान की कुंडली में छिपे होते हैं कुछ ऐसे गुप्त राज, जो केवल एक अनुभवी ज्योतिषी ही समझ सकता है. यदि आप भी अपने भविष्य को लेकर गंभीर हैं, तो अपनी कुंडली का गहराई से विश्लेषण जरूर कराएं. याद रखें, जब ग्रह बदलते हैं, तब किस्मत की दिशा भी बदलती है.

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