US Mexico dispute over 1944 water-sharing treaty Donald Trump angry

US-Mexico 1944 Water Sharing Treaty: अमेरिका और मैक्सिको के बीच 1944 की जल संधि एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक समझौता है, जिसके तहत दोनों देश रियो ग्रांडे और कोलोराडो नदी से एक-दूसरे को पानी की आपूर्ति करते हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको पर संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मैक्सिको टेक्सास के किसानों से पानी चुरा रहा है. यह आरोप उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लगाया, जिससे विवाद और गहरा गया.

1944 जल संधि के मुताबिक मैक्सिको को हर 5 सालों में 1.75 मिलियन एकड़ फीट पानी रियो ग्रांडे से अमेरिका को देना होता है. अमेरिका को सालाना 1.5 मिलियन एकड़ फीट पानी कोलोराडो नदी से मैक्सिको को देना होता है. यह सप्लाई बांधों और जलाशयों के नेटवर्क के जरिए की जाती है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-2025 तक  मैक्सिको ने अमेरिका को अब तक केवल 30 फीसदी पानी भेजा है. बता दें कि ये Cycle अक्टूबर में समाप्त हो रहा है.

टेक्सास की इकलौती चीनी मिल बंद-ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल टेक्सास की इकलौती चीनी मिल बंद हो गई क्योंकि मैक्सिको ने पानी नहीं दिया. उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की आलोचना करते हुए कहा कि उनके प्रशासन ने किसानों की मदद नहीं की थी, जबकि टेड क्रूज़ जैसे नेता टेक्सास के किसानों के लिए लड़ रहे हैं. हालांकि, ट्रंप के आरोपों का खंडन करते हुए मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि यहां पिछले तीन सालों से सूखा पड़ रहा है और जहां तक पानी उपलब्ध है, मैक्सिको संधि का पालन कर रहा है. 

अमेरिका और मैक्सिको भीषण सूखे की चपेट में
मैक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि अमेरिका को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें तत्कालिक उपाय शामिल हैं. इसको लेकर मैक्सिकन अधिकारी अमेरिकी विदेश और कृषि विभागों से संपर्क में हैं. अमेरिका और मैक्सिको दोनों इस समय भीषण सूखे की चपेट में हैं. हाल के वर्षों में कोलोराडो नदी में जलस्तर काफी गिर चुका है.

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