हनुमान जयंती से पहले भारतीय सेना ने म्यांमार में दिखाया दम, ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ से बचाई जानें

Indian Army Operation Brahma: (पवन मिश्रा) म्यांमार में आए भूंकप ने पूरे देश का जनजीवन ही ठप कर दिया है। सैकड़ों लोगो की जान गई तो हजारों लोग हुए है बुरी तरह से घायल हो गए। विनाशकारी भूकंप म्यांमार में आया तो भारतीय सेना सबसे पहले मदद करने के लिए पहुंच गई थी और इसे मदद का नाम दिया था। ऑपेरशन ब्रम्हा, इंडियन आर्मी इसी ऑपेरशन में अपनी कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं,जिसके बाद सेना को मलबे में फंसे लोगों को ढूंढ़ने और सुरक्षित निकालने में ये बड़ी कामयाबी मिल रही है।

थल सेना के एक मेजर जनरल ने न्यूज 24 को एक्सक्लूसिव जानकारी देते हुए बताया कि ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के दौरान जिन अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है, उनमें ‘रोबोटिक म्यूल्स’ और ‘नैनो ड्रोन’ सबसे खास हैं। ये उपकरण न सिर्फ बचाव कार्य को तेज और सुरक्षित बना रहे हैं, बल्कि भविष्य के सैन्य और आपदा प्रबंधन अभियानों में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि क्या है रोबोटिक म्यूल्स और नैनो ड्रोन और ये कैसे काम करता है।

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क्या है रोबोटिक म्यूल्स?

दरअसल रोबोटिक म्यूल्स एक ऐसी नई तकनीक है जिसमें मशीनों में मानव जैसी ताकत होती है। ये चार पैरों वाले रोबोट किसी भी परिस्थिति में अपनी ताकत को दिखा सकते है। जैसे रेगिस्तान,बर्फ़ीली या फिर पहाड़ी इलाकों में।

myanmar earthquake

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यह हर जगह बड़ी ही आसानी से पहुंच जाते हैं और सेना को संदेश दे सकते हैं कि कहां पर खतरा है और कहां पर दुश्मन छिपा है। वो ये भी जानकारी दे सकते हैं कि कहां पर कोई अपना है जो मदद ले लिए पुकार रहा है।

robotic mules

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हाई-डेफिनेशन कैमरे और सेंसर युक्त है रोबोटिक म्यूल्स

जानकारी के लिए बता दें कि रोबोटिक म्यूल्स में हाई-डेफिनेशन कैमरे, सेंसर और GPS सिस्टम लगे होते हैं, जिससे ये मलबे के भीतर की तस्वीरें और लोकेशन की जानकारी तुरंत भेजते हैं। ये म्यूल्स करीब 100 किलो तक वजन उठाकर राहत सामग्री पहुंचा सकते हैं, वो भी बिना किसी इंसानी खतरे के। आपको बता दे कि म्यांमार में मलबे से घिरे इलाकों में घुसकर इन्होंने फंसे लोगों तक जरूरी दवाएं और उपकरण पहुंचाए हैं।

क्या होता है नैनो ड्रोन?

रोबोटिक म्यूल्स के बारे में तो जान लिया है अब नैनो ड्रोन के बारे में भी जान लेते हैं। जान लें कि यह ड्रोन आसमान से अचूक निगरानी करता है। ये ड्रोन संकरे, अंधेरे और धुएं से भरे स्थानों में उड़ान भर सकते हैं। इनमें नाइट विजन कैमरा, थर्मल सेंसर और लाइव स्ट्रीमिंग टेक्नोलॉजी लगी होती है, जिससे अंदर फंसे लोगों की स्थिति तुरंत मेडिकल टीम तक पहुंचती है। नैनो ड्रोन एक बार में 20-30 मिनट की उड़ान भरने वाले हैं जो बेहद कम समय में बड़ी जानकारी जुटा सकते हैं।

nano drone

सेना अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीक न सिर्फ समय बचा रही है, बल्कि जान भी बचा रही है। यह पहली बार है जब इतने बड़े स्तर पर भारत ने मानवीय राहत कार्यों में स्वदेशी हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के जरिए भारतीय सेना ने यह साबित किया है कि देश की रक्षा ताकत अब सिर्फ युद्ध में नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभा रही है।

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Apr 11, 2025 14:26

Edited By

Hema Sharma

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