SEBI’s New Rule: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) के लिए एक नया सर्कुलर जारी किया है. इसके तहत अब ₹50,000 करोड़ या उससे अधिक निवेश करने वाले FPIs को अपनी निवेश संबंधी पूरी जानकारी और असली मालिकों (बेनिफिशियल ओनरशिप) की जानकारी देनी होगी.
पहले क्या था नियम?
पहले यह सीमा ₹25,000 करोड़ थी. यानी, अगर किसी FPI का निवेश ₹25,000 करोड़ से अधिक होता था, तो उसे यह जानकारी SEBI को देनी होती थी. अब SEBI ने इस सीमा को दोगुना कर ₹50,000 करोड़ कर दिया है.
ODIs के ज़रिए निवेश करने वालों पर भी असर
यह नियम सिर्फ सीधे निवेश करने वाले FPIs तक सीमित नहीं है. Offshore Derivative Instruments (ODIs) के ज़रिए भारत में निवेश करने वाले निवेशकों को भी यह जानकारी देनी होगी. ODIs वे वित्तीय साधन होते हैं जिनके ज़रिए विदेशी निवेशक बिना सीधे भारतीय शेयर बाज़ार में रजिस्टर्ड हुए, भारतीय एसेट्स में निवेश कर सकते हैं.
क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?
SEBI का मकसद है निवेश की पारदर्शिता बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी निवेशक गुमनाम रहकर या जटिल ढाँचों के ज़रिए बड़े स्तर पर बाजार को प्रभावित न कर सके.
तुरंत लागू होंगे नए नियम
SEBI ने साफ़ किया है कि यह नया नियम तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है. यानी, जो भी FPI या ODI होल्डर अब या आगे ₹50,000 करोड़ से अधिक निवेश करता है, उसे अपनी डिटेल्स और असली निवेशक की पहचान SEBI को बतानी होगी.
Master Circular में बदलाव
यह निर्देश SEBI के FPI Master Circular के कुछ प्रावधानों में बदलाव के तहत जारी किया गया है. Master Circular वह दस्तावेज़ है जिसमें FPIs से जुड़े सभी नियमों को एक जगह समेटा गया है.
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