Stock Market Crash: अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है टैरिफ वॉर का बढ़ता खतरा. चीन ने नरम रुख अपनाने के बजाय जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगा दिए हैं. इससे निवेशकों के बीच आशंका और बढ़ गई है कि अमेरिका में महंगाई तेज़ी से बढ़ सकती है. महंगाई बढ़ने की स्थिति में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल हो जाती हैं, जिससे बाजार को और झटका लग सकता है.
मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि डाओ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज हमारे अनुमानित 38200-38500 के टारगेट पर पहुंच चुका है. अब देखना यह होगा कि यहां से बाजार में रिकवरी आती है या गिरावट और गहराती है. यह गिरावट वैसी ही है जैसी पहले जापान-येन कैरी ट्रेड के समय देखी गई थी. खास बात यह है कि तीन दिन की गिरावट में सबसे ज्यादा घबराहट दूसरे दिन दिखी, जब Panic Selling चरम पर थी. इसके साथ ही कच्चा तेल भी तेजी से हमारे $55-60 के अनुमानित दायरे की ओर बढ़ रहा है.
क्या ग्लोबल मंदी का खतरा मंडरा रहा है?
टैरिफ वॉर से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण दुनिया भर में बिजनेस फैसलों में देरी और झिझक देखी जा रही है. इसका सीधा असर ग्रोथ पर पड़ेगा. अमेरिका, जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, अगर मंदी की चपेट में आता है, तो इसकी लहर पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है. टैरिफ वॉर की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन इसका अंत कब और कैसे होगा, यह कहना मुश्किल है. कौन-से देश कितना जवाब देंगे और किन शर्तों पर डील होगी, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा. जब तक यह स्थिति साफ नहीं होती, इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर निर्भर हर कंपनी के लिए हालात बेहद अनिश्चित रहेंगे. भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है और GDP में करीब 0.5% की गिरावट की आशंका जताई जा रही है.
क्या हमारे बाजार में मचेगा Panic?
अगर अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट आई है तो भारतीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रहेंगे. निफ्टी के लिए फिलहाल 22500-22550 का जोन एक छोटा सपोर्ट है. अगर यह लेवल टूटता है तो फिर बाजार 21800-22000 के पुराने बॉटम की ओर फिसल सकता है. नई और गंभीर मंदी तब सामने आएगी जब निफ्टी 21800 के नीचे बंद हो. उस स्थिति में 21000-21300 का स्तर दिखाई दे सकता है. बैंक निफ्टी के लिए 49700-50150 का जोन एक बड़ा और निर्णायक सपोर्ट रहेगा.
किन शेयरों और सेक्टर्स पर पड़ेगा असर?
वर्तमान हालात में निवेशकों को ग्लोबल बिजनेस पर निर्भर कंपनियों से दूर रहना चाहिए. IT, ऑटो, ऑटो एंसिलरी, मेटल्स और केमिकल सेक्टर्स पर दबाव बना रहेगा. हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से फायदा उठाने वाले सेक्टर्स जैसे कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां, एविएशन और पेंट इंडस्ट्री में जोखिम कम है. बाजार में जब भी रिकवरी शुरू होगी, बैंक और NBFC सेक्टर सबसे आगे रह सकते हैं.
ट्रेडर्स के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?
अगर बाजार बड़े गैप से नीचे खुले, तो ट्रेड करना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगा. ऐसे में इंट्राडे में तेजी आने पर ही ट्रेड करने की सलाह दी जाती है. जब तक बाजार पिछले दिन के उच्च स्तर के ऊपर बंद नहीं होता, तब तक तेजी की सोच से बचना चाहिए. हां, अगर बाजार किसी मजबूत सपोर्ट लेवल के पास पहुंच जाए, तो सख्त स्टॉपलॉस के साथ सीमित खरीदारी की जा सकती है. फिलहाल, इंट्राडे पोजीशन ही रखें और ओवरनाइट पोजिशन से बचें.
इन्वेस्टर्स के लिए सलाह
लंबी अवधि के निवेशकों को फिलहाल Wait & Watch की रणनीति अपनानी चाहिए. निफ्टी की 21800-22125 की रेंज में बाजार को ध्यान से रिव्यू करें. अगर बाजार 22000 या 21000 के आस-पास आता है, तो वहां पर थोड़ा-बहुत निवेश करना उचित हो सकता है.
बाजार कब, कहां और कैसे सुधरेगा?
बाजार की दिशा तय करने के लिए आने वाले समय में चार बड़े ट्रिगर होंगे:
टैरिफ वॉर का समाधान कब और कैसे होता है?
क्या भारतीय रिजर्व बैंक 9 अप्रैल को ब्याज दरों में 0.5% की कटौती करेगा?
इस तिमाही के कॉर्पोरेट नतीजे पिछले (दिसंबर) तिमाही से बेहतर होते हैं या नहीं?
वित्त वर्ष 2026 के लिए कंपनियों का आउटलुक और गाइडेंस कैसा रहेगा?
जब तक इनमें से कोई पॉजिटिव संकेत नहीं मिलता, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है. निवेशकों और ट्रेडर्स को सतर्क रहकर कदम उठाने की जरूरत है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
Read More at www.zeebiz.com