Donald Trump Tariff: अमेरिका में तीन महिने पहले लोगों ने बहुत धूम-धाम से डोनाल्ड ट्रंप को अपना राष्ट्रपति चुना था. हालांकि, अब वहीं जनता ट्रंप के फैसलों से परेशान नजर आ रही है. वो अब गुस्से में है और ट्रंप के खिलाफ़ सड़कों पर जमा हो रहें हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है टैरिफ, जिसके चलते अमेरिका का शेयर मार्केट क्रैश हो चुका है. निवेशकों के पैसे डूब रहे हैं. विदेशी सामान महंगे होने वाले हैं. इस गुस्से में अमेरिका की जनता ट्रंप और मस्क को कोसने सड़क पर उतर रही है.
इन दिनों अमेरिका की सड़कों पर भारी भीड़ नजर आ रही है. अमेरिका में लोगों भीड़ ट्रंप और एलन मस्क के विरोध में जमा हो रही है. जनता को लग रहा है कि अमेरिका को महान बनाने की बात सिर्फ़ एक झूठा सपना और जुमला था. हक़ीकत ये है कि अमेरिकन्स का वर्तमान और भविष्य दोनों ही ट्रंप और एलन मस्क की वजह से खतरे में हैं. दोनों अमेरिका को महान बनाने की बजाए बर्बादी के गर्त में ले जा रहे हैं.
2 अप्रैल को भड़की प्रदर्शन की आग
अमेरिका में प्रदर्शन की आग 2 अप्रैल को भड़की, जब अमेरिका ने अपने ट्रेड पार्टनर्स देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. हालांकि, अब यही टैरिफ ट्रंप के लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा फैसला साबित हो रहा है. टैरिफ से अमेरिका का नुकसान हो रहा है, जिसको लेकर जनता काफी गुस्से में नजर आ रही है. अमेरिका के कई बड़े शहरों में ट्रंप प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इसमें वॉशिंगटन,बॉस्टन, शिकागो और न्यूयॉर्क शामिल है, जहां जनता का हुजूम राष्ट्रपति के खिलाफ सड़क पर निकल आया है. उनके हाथों में ट्रंप और मस्क के खिलाफ बैनर है. अमेरिकियों के लिये ट्रंप और एलन मस्क की जोड़ी बिल्कुल वैसे है जैसे करेला उसपर नीम चढ़ा. प्रदर्शनकारी लगातार नारे लगा रहे हैं कि दोनों मिलकर अमेरिका का सर्वनाश कर देंगे.
टैरिफ से अमेरिका को क्या नुकसान?
नाराज अमेरिकी मानते है कि ट्रंप जो भी कर रहे हैं उसमें अमेरिका का फायदा कम बल्कि रूस का फायदा ज़्यादा है. उनका कहना है कि हमारे राष्ट्रपति दूसरे लोगों के हितों के लिए काम कर रहे हैं. यह टैरिफ हमारे देश को नष्ट करने का एक औजार है. टैरिफ की गणित की बात करें तो अमेरिका ने दूसरे देशों पर टैरिफ लगाया है इसका मतलब उन देशों को अमेरिका में सामान बेचने के लिए सरकार को टैक्स देना होगा. इसकी भरपाई के लिए अमेरिका में विदेशी कंपनियों के सामान महंगे हो जाएंगे. इसका सीधा असर अमेरिकी मिडिल क्लास पर पड़ेगा. उनके बजट बिगड़ जाएंगे. अमेरिकियों के लिए एक बड़ी चिंता ये भी है कि उनका देश दुनिया में सबसे ज्यादा सामान आयात करता है. यानी वो काफी हद तक अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. खाने-पीने के सामानों से लेकर प्लास्टिक, गाड़ियां, दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, मेटल..ये सारी चीजें विदेशों से आते हैं.
टैरिफ लगने से अमेरिका में बढ़ेगी मंहगाई
अनुमान है कि टैरिफ लगने से अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान 10 फीसदी तक महंगे होंगे. 25 परसेंट टैरिफ लगने के बाद गाड़ियां भी 6 फीसदी तक महंगी हो जाएगी. यानी अगर कोई गाड़ी 50 लाख की बिकती है तो अब टैरिफ के बाद उसका दाम 53 लाख हो जाएगा. टैरिफ के ऐलान के बाद से अभी तक ग्लोबल मार्केट ऊभर नहीं पाया है. 2 से 4 अप्रैल के बीच अमेरिका का स्टॉक मार्केट 2 हजार 13 पॉइंट गिरा, जो 2020 के बाद सबसे निचला स्तर है.भारत का शेयर बाजार 1,252 पॉइंट गिरा औऱ जापान का बाजार 1,945 पॉइंट गिर गया. हालांकि, ट्रंप अपने फैसले पर अडिग हैं. वो कह रहे हैं कि उनकी टैरिफ पॉलिसी से दूसरे देश घुटने पर आएंगे. वो मजबूर होकर अपना टैरिफ कम करेंगे और अमेरिकी मार्केट फिर उठ जाएगा.
अमेरिका पर जवाबी टैरिफ
चीन ने अमेरिका के ऊपर 34 फीसदी टैरिफ लगा दिया है. कनाडा ने भी 25 फीसदी टैरिफ का एलान कर दिया. इसके अलावा यूरोपियन यूनियन भी टैरिफ के खिलाफ है. इन सब के बीच अमेरिकी जनता को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का साथ मिला है. उन्होंने जनता से कहा कि वो डटें रहें और हिम्मत न हारें. बता दें कि ट्रंप इस वक्त 3 मोर्चों पर घिरे हुए हैं. पहला- वो देश जो उनके टैरिफ के खिलाफ़ हैं, दूसरा- अमेरिका के विरोधी दल और तीसरा अमेरिकी जनता, जो सीधे सड़क पर उतर आई है.
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