MS Dhoni Retirement: आईपीएल 2025 में जीत के साथ शुरुआत करने वाली चेन्नई सुपर किंग्स की टीम लगातार तीन मैच हार चुकी है। जिसके बाद टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन और रणनीति पर सवाल खड़े होने लगे हैं। वहीं, पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। जिसके बाद पूर्व क्रिकेटर उन्हें संन्यास लेने की सलाह देने लगे हैं।
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दरअसल, दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ मैच में चेन्नई सुपर किंग्स को इस सीजन तीसरी हार मिली है। शनिवार को खेले गए इस मैच में चेन्नई के बल्लेबाजों के स्ट्राइक रेट को लेकर सवाल खड़े हुए। जिसमें विजय शंकर 54 गेंदों में 69 रन और एमएस धोनी 26 गेंदों में 30 रन बनाकर नाबाद लौटे। लेकिन, टीम को 25 रनों से हार का सामना करना पड़ा। क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि विजय शंकर और धोनी अगर तेज खेलते तो चेन्नई इस मैच को जीत सकती थी।
चेन्नई को मिली हार के बाद सोशल मीडिया पर एमएस धोनी ट्रेंड कर रहे हैं। आलोचक उन्हें संन्यास लेने की सलाह दे रहे हैं। इस बीच भारत के पूर्व क्रिकेटर और धोनी के साथ खेल चुके मनोज तिवारी का मानना है कि धोनी को आईपीएल 2023 के बाद संन्यास ले लेना चाहिए था। वह धीरे-धीरे सीएसके फैंस के बीच अपनी इज्जत गंवा रहे हैं। बत दें कि धोनी ने आईपीएल 2025 में अब तक चार मैचों में 76 रन बनाए हैं।
क्रिकबज से बातचीत में मनोज तिवारी ने कहा कि उनके हिसाब से आईपीएल 2023 के बाद धोनी को संन्यास ले लेना चाहिए था, तब उन्होंने आईपीएल ट्रॉफी भी जीती थी। उनका मानना है कि क्रिकेट के दम पर उन्होंने जो नाम, पैसा और इज्जत कमाई है, वो पिछले दो सीजन में खेलने के कारण फिसल रही है। तिवारी ने आगे कहा कि क्रिकेट फैंस धोनी को इस तरह खेलते हुए नहीं देख पाएंगे और उनका वो स्पार्क कम हो रहा है।
पूर्व क्रिकेटर ने आगे कहा कि पिछले मैच के बाद क्रिकेट फैंस ने सड़कों पर आकर धोनी भाई के खिलाफ जो कहा, वो इसका संकेत है कि उनका जादू अब काम नहीं कर रहा है। इस दौरान मनोज तिवारी ने स्टीफन फ्लेमिंग के बयान पर सवाल किया, जिसमें कहा गया था कि धोनी 10 ओवर से ज्यादा बल्लेबाजी नहीं कर सकते हैं।
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तिवारी ने कहा कि वो 20 ओवर फील्डिंग और विकेटकीपिंग कर सकते हैं, और उनके घुटने में तकलीफ नहीं होती। मगर जब टीम को जीत की जरुरत हो बल्लेबाजी के लिए भेजा गया हो और उम्मीदों का बोझ हो तब वो 10 ओवर कहने की बात करते हैं? सभी चीजें उसके आस-पास की होती है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि कड़ा फैसला लेने की जरूरत है। किसी को विस्तार से समझाना पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो ठीक है, बस जाने दो।’
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