Ram Navmi 2025: श्रीराम नवमी भगवान विष्णु के सातवें अवतार, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है. यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है, जब प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था.
इस वर्ष राम नवमी का विशेष संयोग अत्यंत शुभ फलदायी है, पुष्य नक्षत्र, जो कि शनि देव का नक्षत्र है, रविवार का दिन जो स्वयं सूर्यदेव से संबंधित है, और नवमी तिथि, जो सूर्य की ही तिथि मानी जाती है. यह त्रिवेणी योग, शनि, सूर्य और नवमी अपने आप में एक अद्भुत सामंजस्य रचता है. इस दिन श्रीराम तथा सूर्यदेव की आराधना करना शनि जनित समस्त कष्टों को शांत करने का एक उत्कृष्ट उपाय माना गया है. श्री बुद्धिबल्लभ पंचांग संपादक ज्योतिषाचार्य पवन पाठक इस दिन का विशेष महत्व बताते हैं, इसे आप भी जानें-
सवितृ गायत्री मंत्र से सूर्यदेव को अर्घ्य देना विशेष लाभदायक रहेगा:
“ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्”
चूंकि श्रीराम, भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसलिए इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अथवा श्रवण करना शास्त्रों में अत्यंत पुण्यदायक कहा गया है. यह सहस्र पापों का नाश करने वाला है.
हनुमान चालीसा का पाठ भी आज के दिन विशेष रूप से फलदायी होता है. शास्त्रों के अनुसार
“राम राम रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥”
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करना चाहिए. महर्षि पराशर ने भी विष्णु पुराण में कहा है कि राम नाम की महिमा विष्णु सहस्रनाम के समान है. यह नाम मन को परम शांति, ऊर्जा और दिव्यता प्रदान करता है. कलियुग में इस नाम का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है.
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