Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजार आज 4 अप्रैल को धड़ाम से गिर गए। सेंसेक्स और निफ्टी 1% से अधिक क्रैश हो गए। ग्लोबल ट्रेड वार शुरू होने की आशंका ने निवेशकों के मनोबल को गिरा दिया है। इसके चलते बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली। सेंसेक्स 820 अंक या 1.07 फीसदी टूटकर 75,475 के स्तर तक टूट गया। वहीं निफ्टी 313 अंक या 1.35 फीसदी लुढ़ककर 22,936 के स्तर पर पहुंच गया। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू करीब 8.5 लाख करोड़ रुपये घट गई। फार्मा, आईटी और मेटल शेयरों में हाहाकार मचा हुआ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलानों के बाद ही एक्सपर्ट्स बाजार में गिरावट आने की आशंका जता रहे थे। ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत समेत पूरी दुनिया का रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया। इसके बाद 3 अप्रैल को भी शुरुआती कारोबार में बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली थी, लेकिन बाद में बाजार संभल गया था। लेकिन आज शेयर बाजार में “ब्लैक फ्राइडे” देखने को मिली।
शेयर बाजार में आज की इस गिरावट के पीछे 6 बड़े कारण रहे-
1. ग्लोबल ट्रेड वार शुरू होने का डर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए रेसिप्रोकल टैरिफ ऐलानों ने ग्लोबल लेवल पर ट्रेड वार शुरू होने की आशंकों को बढ़ा दिया है। चीन और कनाडा ने अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी के विजयकुमार ने बताया, “शेयर बाजार इस समय भारी अनिश्चितता से गुजर रहे हैं, जो जारी रहने की संभावना है। अमेरिका ने ग्लोबल ट्रेड वार शुरू किया है और अब चीन, यूरोपीय यूनियन और दूसरे देशों की ओर से जवाबी टैरिफ लगाए जाने की उम्मीद है। इससे अस्थिरता बढ़ेगी और ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ को नुकसान पहुंचेगा।”
अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय समानों पर पर 26 फीसदी के रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया है। वहीं उसने बाकी देशों पर न्यूनतम 10 फीसदी के टैरिफ का ऐलान किया है। इसके जवाब में कनाडा ने अमेरिकी गाड़ियों के इंपोर्ट पर 25 फीसदी टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है। वहीं चीन ने इस नए टैरिफ को तत्काल वापस लेने की मांग की और कहा कि ऐसा नहीं करने पर वह कड़े जवाबी कदम उठा सकता है।
HDFC सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च हेड, देवर्ष वकील के मुताबिक, “ट्रंप के टैरिफ ऐलानों के चलते न सिर्फ ग्लोबल ट्रेड वार, बल्कि ग्लोबल लेवल पर आर्थिक मंदी आने की आशंका भी पैदा हो गई है। इसके चलते गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में पिछले कई सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली।”
2. फार्मा शेयरों को झटका
डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि फार्मास्युटिकल सेक्टर पर भी जल्द ही टैरिफ लगाए जा सकते हैं। एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए, ट्रंप ने कहा, “फार्मा सेक्टर पर हम ऐसे टैरिफ लाने जा रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।” उन्होंने आगे कहा कि फार्मा इंडस्ट्री को एक अलग कैटेगरी के रूप में देखा जा रहा है, और इसके लिए जल्द ही एक बड़ी घोषणा की जाएगी। उन्होंने इस फैसले को निकट भविष्य में लागू करने की बात कही।
इस खबर के बाद निफ्टी फार्मा इंडेक्स 4.5 फीसदी से अधिक लुढ़क गया और सबसे अधिक गिरावट वाला सेक्टोरल इंडेक्स बन गया। अरबिंदो फार्मा, ल्यूपिन और IPCA लैब्स के शेयर 6% से ज्यादा गिर गए।
3. ग्लोबल मार्केट्स से कमजोर संकेत
ग्लोबल मार्केट्स से आए कमजोर संकेतों ने भी निवेशकों के सेंटीमेंट पर असर डाला। अमेरिकी स्टॉक मार्केट में बीती रात 2020 के बाद की सबसे तेज गिरावट देखने को मिली। S&P 500 इंडेक्स में 4.9 प्रतिशत की गिरावट आई। करीब 2.5 ट्रिलियन डॉलर की मार्केट वैल्यू खाक हो गई।
इसका असर एशियाई बाजारों में भी देखने को मिला। टोक्यो का निक्केई इंडेक्स 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था। साउथ कोरिया का कोस्पी इंडेक्स करीब 2 प्रतिशत नीचे चला गया। किंगमिंग त्योहार के अवसर पर शंघाई और हांगकांग के शेयर बाजार बंद रहे।
4. चौतरफा कमजोरी
निफ्टी के सभी 13 सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। ट्रंप की नई धमकी के बाद फार्मा शेयरों में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली और निफ्टी फार्मा इंडेक्स 4.5 फीसदी तक लुढ़क गया। अमेरिकी टेक शेयरों में कमजोरी के कारण आईटी शेयरों में भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा।
निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। इंडेक्स में शामिल सभी 10 कंपनियों के शेयर लाल निशान में थे। कोफोर्ज और पर्सिस्टेंट सिस्टम्स सबसे अधिक नुकसान में रहे। इसके अलावा ग्लोबल सप्लाई चेन में रुकावटों की की चिंताओं के बीच मेटल शेयरों में भी गिरावट देखी गई।
5. विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली
कुछ समय के ठहराब के बाद विदेशी निवेशकों (FIIs) ने फिर भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकालना शुरू किया दिया है। इससे बाजार पर दबाव बढ़ा है। गुरुवार 3 अप्रैल को विदेशी निवेशकों ने 2,806 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। वहीं दूसरी ओर घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 221.47 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
6. RBI की बैठक और जेरोम पॉवेल के स्पीच से पहले निवेशकों की सतर्कता
शेयर बाजार में जारी अस्थिरता के बीच निवेशक कोई बड़ा दांव लगाने से बच रहे हैं। निवेशकों की नजर इसें समय अमेरिका के केंद्रीय बैंक के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के भाषणों पर टिकी हैं, जो शुक्रवार देर शाम को होगा। इस भाषण में जेरोम पॉवेल अमेरिकी इकोनॉमी के बारे में अपने नए आकलन की जानकारी देंगे। साथ ही ट्रंप के टैरिफ ऐलानों के बाद मॉनिटरी पॉलिसी का क्या रुख होगा, इसके बारे में भी संकेत देंगे।
इसके अलावा निवेशक RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक का भी इंतजार कर रहे हैं, जो अगले हफ्ते होने वाली हैं। ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है।
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