अनंत अंबानी की धार्मिक पदयात्रा (Anant Ambani Padyatra) की चर्चा हो रही है. सनातन धर्म में धार्मिक पदयात्राएं आरंभ से ही न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहीं हैं, बल्कि यह एक ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. भारत में प्राचीन काल से ही पदयात्रा को आत्मशुद्धि, मनोकामना पूर्ति और नकारात्मक ऊर्जा के निवारण का साधन माना जाता रहा है. ज्योतिषीय (Astrological) और धार्मिक (Spiritual) दृष्टिकोण से पदयात्रा के लाभ के बारे में कई धार्मिक ग्रंथो में विस्तार से चर्चा की गई है, धार्मिक यात्राएं जीवन में बड़े संकटों को टालने में सहायक हो सकती है? आइए जानते हैं-
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से पदयात्रा का महत्व
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धार्मिक पदयात्रा नवग्रहों (Navagraha) के दोषों को कम करने में सहायक होती है. विशेष रूप से शनि दोष (Shani Dosh) यानि शनि के दंड से बचने और साढ़े साती (Shani Sade Sati) के प्रभाव को कम करने के लिए पदयात्रा अत्यंत फलदायी मानी गई है.
- राहु-केतु दोष (Rahu-Ketu Dosh): यदि किसी जातक की कुंडली में राहु-केतु की अशुभ स्थिति हो, तो धार्मिक पदयात्रा करने से इन ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा कम होती है.
- मंगल दोष (Mangal Dosh): मंगल ग्रह से संबंधित समस्याओं (जैसे विवाह में देरी या आक्रामक स्वभाव) के निवारण हेतु धार्मिक यात्रा को शुभ माना जाता है.
कुंडली के ग्रह योग को सक्रिय करना
धार्मिक पदयात्रा करते समय भक्त विशेष मंत्रों और जप (Mantras & Chanting) का अभ्यास करते हैं, जिससे उनकी कुंडली में शुभ ग्रह योगों (Benefic Planetary Combinations) का उदय होता है. यह सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य को बढ़ाता है.
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
पितृ दोष (Pitra Dosh) से पीड़ित व्यक्तियों के लिए धार्मिक यात्राएं, विशेषकर पैदल यात्रा, अत्यंत लाभदायक मानी जाती हैं. ज्योतिष ग्रंथों में यह वर्णित है कि माता-पिता और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ऐसी यात्राएं करनी चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ
आध्यात्मिक उन्नति एवं मोक्ष प्राप्तिः हिंदू धर्म के अनुसार, पदयात्रा व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से दूर कर आत्मशुद्धि (Self Purification) की ओर अग्रसर करती है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान शिव, विष्णु और देवी माँ के धामों तक पदयात्रा करने से मोक्ष प्राप्ति (Moksha) संभव होती है.
मानसिक और शारीरिक शुद्धि: मानसिक शांति (Mental Peace) में लाभकारी, पदयात्रा करने से व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है और एकाग्रता बढ़ती है.
शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health): नियमित पदयात्रा से शरीर स्वस्थ रहता है और हृदय संबंधी रोगों में लाभ मिलता है.
Anant Ambani Viral Video:
This video of Anant Ambani will win your heart. While going from Jamnagar to Dwarka, Anant saw chickens inside a tempo which were being taken for slaughter. Anant Ambani told his people to give their money to the owner, and now we will raise them.❤️🚩❤️ pic.twitter.com/iwkA7bY1CI
— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) April 1, 2025
पुण्य प्राप्ति और कर्म सिद्धांत
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, धार्मिक पदयात्रा करने से व्यक्ति को अकूत पुण्य (Punya) की प्राप्ति होती है. श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) में भी कहा गया है कि अच्छे कर्मों का फल निश्चित रूप से मिलता है.
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन.’
(अर्थ: मनुष्य को केवल कर्म करने का अधिकार है, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए.)
संकट निवारण में पदयात्रा की भूमिका
कुंडली में महादशा और अंतर्दशा के कुप्रभाव से मुक्ति
ज्योतिषीय दृष्टि से यदि किसी जातक की कुंडली में किसी ग्रह की महादशा (Mahadasha) या अंतर्दशा (Antardasha) चल रही हो, जो अशुभ फल दे रही हो, तो पदयात्रा करने से वह प्रभाव कम हो सकता है.
वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
घर में नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) अधिक होने पर, वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में भी धार्मिक यात्राओं को सुझाया गया है. यह ऊर्जा को संतुलित करता है और जीवन में शांति बनाए रखता है.
ग्रहण काल और दुर्भाग्य निवारण
सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण (Eclipse) के समय यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से गुजर रहा हो या उसे अपशकुन (Bad Omens) का सामना करना पड़ रहा हो, तो धार्मिक स्थल की पदयात्रा करने से यह दोष समाप्त हो सकते हैं. बीते 29 मार्च को शनि देव का मीन राशि में गोचर हुआ और इसी दिन साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण भी लगा था. इस बार ग्रहण की स्थति और
प्राचीन ग्रंथों से प्रमाण
स्कंद पुराण- ‘यः पदभ्यां गच्छति तीर्थयात्रां, सर्वपापैः प्रमुच्यते.’
(अर्थ: जो व्यक्ति तीर्थयात्रा के लिए पैदल जाता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है.)
पद्म पुराण- ‘तीर्थयात्रायाः फलं प्राप्यते शुभं, दुःखानि नश्यन्ति सुखं वर्धते.’
(अर्थ: तीर्थयात्रा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, दुःख समाप्त होते हैं और सुख में वृद्धि होती है.)
महाभारत- महाभारत में अर्जुन ने तीर्थों की यात्रा की थी, जिससे उन्हें आत्मिक शक्ति प्राप्त हुई थी.
धार्मिक पदयात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है. यह न केवल आत्मशुद्धि और मनोकामना पूर्ति में सहायक मानी गई हैं. इस तरह की पदयात्राओं से ग्रहों के दोषों को दूर करने और संकट निवारण में अहम भूमिका निभाती हैं. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, पदयात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, सुख-शांति और समृद्धि आती है. यदि सही भावना और श्रद्धा के साथ यह अनुष्ठान किया जाए, तो यह निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देता है.
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