रजत शर्मा का ब्लॉग | टॉप पर कोई वैकेंसी नहीं: नरेंद्र मोदी ही नेतृत्व करेंगे

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इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘रिटायरमेंट’ को लेकर उड़ाई जा रही अफवाहों पर फुल स्टॉप लगा दी। संघ के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी एक स्वयंसेवक की तरह नागपुर में रविवार को RSS मुख्यालय आए थे। उनके साथ RSS के शताब्दी वर्ष की योजना पर बात हुई, लेकिन उत्तराधिकारी को लेकर न बात हुई, न चर्चा हुई, ये सब बेकार की बातें हैं। दरअसल, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने ये शिगूफा छोड़ा था। संजय राउत ने कहा कि नरेंद्र मोदी के रिटायरमेंट का वक्त आ गया है, वह सितंबर में रिटायर हो रहे हैं, RSS भी नेतृत्व में बदलाव चाहता है। संजय राउत ने ये भी दावा कर दिया कि उन्हें तो यहां तक संकेत मिले हैं कि मोदी का उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा, मराठी मानुष होगा।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि “मोदी जी का उत्तराधिकारी खोजने का कोई कारण ही नहीं, मोदीजी हमारे नेता हैं, अगले कई साल तक मोदी जी काम करेंगे, हम सभी का आग्रह है, साल 2029 में मोदी जी प्रधानमंत्री बनें, यह पूरा देश चाहता है।” नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने की इच्छा रखने वालों की कमी नहीं है। जो पिछले तीन चुनाव में मोदी को नहीं हरा पाए, वो कभी चीन से, तो कभी अमेरिका से उम्मीद लगाते हैं, कभी कहते हैं कि किसान या फिर मुसलमान मोदी को हटा देंगे। कुछ लोग तो ये भी उम्मीद लगाये बैठे  हैं कि मोदी अपने आप तपस्या करने हिमालय की ओर चले जाएंगे। पर शेखचिल्ली को सपने देखने से आजतक कौन रोक पाया है? लोकसभा के चुनाव के दौरान केजरीवाल ने कहा था कि मोदी अमित शाह को पीएम बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं। जनता ने केजरीवाल को ही साफ कर दिया।

अब पिछले कई दिनों से ये चर्चा चलाई गई कि RSS और प्रधानमंत्री के बीच दरार है। ये कहा गया कि RSS मोदी से नाराज़ है। पर कहते हैं कि “सौ सुनार की, एक लुहार की”। मोदी ने नागपुर जाकर इन सारी अटकलों को धराशायी कर दिया। आज नया शिगुफा छोड़ा गया। मोदी को हटाने की wishful thinking अगर किसी की है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता। लेकिन सच ये है कि नरेंद्र मोदी अपना कार्यकाल आराम से पूरा करेंगे। जनता ने जिताया तो 2029 में फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। मोदी का न तो कोई विकल्प है, न कोई उत्तराधिकारी और न कोई नंबर 2। मैं तो कहता हूं कि नंबर 1 से लेकर नंबर 10 तक फिलहाल कोई नहीं है। मोदी के पद छोड़ने, उत्तराधिकारी चुनने की बातें पूरी तरह हवा-हवाई हैं। ये सिर्फ नरेंद्र मोदी तय करेंगे कि उन्हें कब तक बीजेपी को लीड करना है। जितना परिश्रम वो कर रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि अभी 5-10 साल तो किसी का कोई चांस नहीं है। टॉप पर कोई वैकेंसी नहीं है। अटकलें लगाने वालों को, अफवाहें फैलाने वालों को मोदी ने बार-बार गलत साबित किया है। और इस बार ये लोग फिर गलत साबित होंगे।

RSS: औरंगज़ेब की कब्र पर विवाद अनावश्यक

कई हिन्दू संगठनों और राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र के संभाजी नगर में बनी औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। लेकिन इस मामले में RSS की तरफ से बड़ा बयान आया। RSS के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने साफ कर दिया कि औरंगजेब की कब्र का मसला गैर-ज़रूरी है। इस विवाद में वक्त बर्बाद करना ठीक नहीं हैं। भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब यहीं मरा, सैकड़ों सालों से उसकी कब्र यहीं हैं, आगे भी रहेगी, तो उससे क्य़ा फर्क पड़ने वाला है? भैयाजी जोशी ने कहा कि हर मुद्दे को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए, न ही उस पर राजनीति होनी चाहिए।

आज सबसे दिलचस्प बयान सपा नेता अबु आजमी का आया। अबु आज़मी के बयान से ही औरंगजेब को लेकर विवाद शुरू हुआ था। उन्होंने औरंगजेब को इंसाफ पंसद बादशाह बताया था। कहा था कि औरंगजेब ने हिन्दुओं पर कोई जुल्म नहीं किया, उसने तो मंदिर बनवाए थे। उसके बाद ही ओरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग शुरू हुई। लेकिन जब भैय्याजी जोशी ने कह दिया कि कब्र हटाने की कोई जरूरत नहीं है, तो अबु आजमी ने कहा कि उनका क्या गुनाह था। उनके बयान पर इतना हंगामा क्यों हुआ? उन्हें विधानसभा से पूरे सत्र के लिए सस्पेंड क्यों किया गया? उनके खिलाफ केसेज क्यों दर्ज हुए? लेकिन औरंगजेब का गुणगान करने के चक्कर में अबु आजमी ने अपना अच्छा खासा नुकसान कर लिया क्योंकि महाराष्ट्र का सेंटिमेंट छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर है। महाराष्ट्र की राजनीति में कोई छत्रपति शिवाजी से लोहा लेने वालों का गुणगान नहीं कर सकता।

क्या नेपाल में राजतंत्र लौटेगा? हिंदू राष्ट्र बनेगा?

नेपाल में राजशाही फिर से लाने के लिए आंदोलन चल रहा है। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह भी जनता के इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने माओवादी नेता रह चुके दुर्गा प्रसाई को आंदोलन का नेतृत्व सौंपा है। इस आंदोलन में नेपाल के आम लोगों के अलावा वहां के नेता और पत्रकार भी शामिल हैं। सोमवार के विरोध प्रदर्शन को अगुआई कर रही नेता रमा सिंह ने कहा कि माओवादियों ने नेपाल की जनता से झूठे वादे करके, राजशाही ख़त्म कर दी, खुद सत्ता पर काबिज हो गए और 17 साल में देश का कबाड़ा कर दिया, अब राजशाही बहाल करना ज़रूरी है। नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने प्रदर्शन और हिंसा के लिए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। ओली ने कहा कि ज्ञानेंद्र शाह को लोकतांत्रिक सरकार ने बहुत सारी रियायतें दे रखी हैं लेकिन वो इसका बेज़ा इस्तेमाल कर रहे हैं, लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं।

नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद 17 साल में 14 बार सरकार बदली। के. पी. शर्मा ओली चार बार प्रधानमंत्री बने, पुष्पदहल कमल प्रचंड और शेर बहादुर देउबा दो-दो बार पीएम बने। 17 सालों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। हर बार जोड़तोड़ से सरकारें बनीं। सिर्फ सत्ता के लिए गठबंधन हुए। इसलिए जो सत्ता में आया, उसने कुर्सी को इस्तेमाल सिर्फ अपना खजाना भरने में किया। अब नेपाल की जनता इससे ऊब गई है और फिर राजशाही की मांग कर रही है। एक और बड़ी बात ये है कि नेपाल की 81 प्रतिशत आबादी हिंदू है। 17 साल पहले तक नेपाल हिंदू राष्ट्र ही था। इसलिए अब राजशाही का समर्थन करने वाले नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 31 मार्च, 2025 का पूरा एपिसोड

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