इंडियन स्टॉक मार्केट के अच्छे प्रदर्शन को लेकर आपको किसी तरह का संदेह है तो आपको एस नरेन की बातों पर गौर करना चाहिए। नरेन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के चीफ इनवेस्टमेंट अफसर हैं। उन्होंने कहा है कि इंडियन स्टॉक मार्केट के साथ कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है। सिर्फ हाई वैल्यूएशन एक चैलेंज है। 100 अरब डॉलर से ज्यादा एसेट्स का प्रबंधन कर रहे नरेन ने ब्लूमबर्ग न्यूज को दिए इंटरव्यू में स्टॉक मार्केट्स और इनवेस्टमेंट के बारे में कई बड़ी बातें बताईं।
इन बातों का ग्लोबल मार्केट्स पर पड़ सकता है असर
नरेन (S Naren) ने कहा कि उनका फंड हाउस लार्जकैप कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश बढ़ा रहा है। इस बीच, ग्लोबल मार्केट्स की नजरें अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) पर है। यह आगे पता चलेगा कि 2 अप्रैल से लागू होने जा रहे रेसिप्रोकल टैरिफ का किस तरह से असर पड़ने जा रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, अमेरिकी टैरिफ, जियोपॉलिटकल इश्यूज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी चीजें आगे ग्लोबल मार्केट्स पर असर डाल सकती हैं।
छह महीने पहले के मुकाबले बढ़ा इंडियन मार्केट्स का अट्रैक्शन
इंडियन स्टॉक मार्केट्स के बारे में उन्होंने कहा कि इंडिया का मार्केट्स छह महीने पहले के मुकाबले अब अच्छा दिख रहा है। लार्जकैप स्टॉक्स में स्थिरता दिख रही है। इसका पता Nifty 50 को देखने से चलता है। इस साल निफ्टी 50 में अपेक्षाकृत कम गिरावट आई है, जबकि Nifty Smallcap 250 इंडेक्स में 14 फीसदी की गिरावट आई है। इंडियन मार्केट्स के साथ कोई फंडामेंटल क्राइसिस नहीं है। सिर्फ हाई वैल्यूएशन एक चैलेंज रहा है।
पोर्टफोलियो को लेकर बैलेंस्ड एप्रोच अपनाने की सलाह
नरेन ने इनवेस्टर्स को पोर्टफोलियो में ज्यादा रिस्क नहीं लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अभी निवेशकों को इक्विटी में ज्यादा निवेश बढ़ाने की जगह बैलेंस्ड एप्रोच अपनाना चाहिए। लार्जकैप स्टॉक्स में निवेश करने के दौरान भी सावधानी बनाए रखना जरूरी है। अभी बाजार में जैसा माहौल है, उसमें स्मार्ट और सेलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल जरूरी है। मार्च में निफ्टी ने फिर से 23,500 का लेवल हासिल कर लिया है। अगर विदेशी निवेशकों का निवेश आगे बढ़ता है तो मार्केट में तेजी जारी रह सकती है।
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विदेशी फंडों का निवेश जारी रहा तो चढ़ेगा मार्केट
पिछले कुछ हफ्तों में विदेशी फंडों का रुख इंडियन मार्केट को लेकर बदला है। इसकी वजह इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन हो सकती है। बीते छह महीनों से जारी गिरावट के बाद इंडियन स्टॉक्स की वैल्यूएशन अट्रैक्टिव हो गई है। उधर, अमेरिका में इनवेस्टमेंट का अट्रैक्शन घटा है।
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