SEBI का बड़ा एक्शन! अब हफ्ते में सिर्फ 2 दिन होगी F&O एक्सपायरी? एक्सचेंज नहीं बदल पाएंगे दिन SEBI Discussion Paper:मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक्सपायरी डे पर डिस्कशन पेपर जारी किया है, जिसमें मंगलवार या गुरुवार का ऑप्शन दिया है. नए एक्सपायरी डे के लिए SEBI की मंजूरी जरूरी होगी. 17 अप्रैल तक इसमें कमेंट्स कर सकते हैं. एप में देखें

SEBI Discussion Paper: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक्सचेंज पर एक्सपायरी को लेकर डिस्कशन पेपर जारी किया है. इसके तहत मंगलवार और गुरुवार को दो एक्सपायरी के ऑप्शन एक्सचेंज के पास रहेंगे. यही नहीं, सेबी की मंजूरी के बिना स्टॉक एक्सचेंज नई एक्सपायरी डे नहीं घोषणा नहीं कर पाएंगे. मार्केट रेगुलेटर के मुताबिक अप्रैल 17th तक डिस्कशन पेपर पर कमेंट का समय दिया गया है. इस कंसल्टेशन पेपर के बाद NSE ने एक्सपायरी का दिन बदलने के प्लान को फिलहाल रोक दिया गया है. पहले 4 मार्च, 2025 को NSE ने बताया था कि वो फ्यूचर्स और ऑप्शंस के सौदों की एक्सपायरी  का दिन बदलने वाले हैं.  गौरतलब है कि अभी तक, BSE और NSE, अपनी मर्जी से एक्सपायरी का दिन चुनते थे. जनवरी 2025 से, BSE  ने मंगलवार और NSE ने गुरुवार का दिन चुना है. 

SEBI Discussion Paper: हफ्ते में चुनना होगा केवल एक दिन

SEBI के डिसक्शन पेपर के मुताबिक अब हर शेयर बाजार को अपने सभी डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी के लिए हफ्ते का सिर्फ एक ही दिन चुनना होगा – या तो मंगलवार या फिर गुरुवार. हफ्ते के पहले दिन (सोमवार) या आखिरी दिन (शुक्रवार) को एक्सपायरी नहीं रखी जाएगी. हर बाजार हफ्ते में एक बार अपने मुख्य इंडेक्स के ऑप्शन सौदों की एक्सपायरी अपने चुने हुए दिन (मंगलवार या गुरुवार) को कर सकेगा. 

SEBI Discussion Paper: हफ्ते में चुनना होगा केवल एक दिन

सेबी के डिस्कशन पेपर में कहा है कि इंडेक्स फ्यूचर्स, शेयरों के फ्यूचर्स और ऑप्शंस,  जैसे बाकी सभी तरह के डेरिवेटिव सौदे , और दूसरे इंडेक्स के सौदे – अब कम से कम एक महीने के लिए होंगे. उनकी एक्सपायरी महीने के सिर्फ आखिरी हफ्ते में होगी. यानी, ये सौदे महीने के आखिरी मंगलवार या आखिरी गुरुवार को ही खत्म होंगे. सेबी का मानना है कि हफ्ते में एक्सपायरी के दिनों को अलग-अलग रखने से एक ही जगह पर सारा जोखिम इकट्ठा होने का खतरा कम हो जाता है.  

SEBI Discussion Paper: इस कारण से लिया जा रहा है ये फैसला

डिस्कशन पेपर के मुताबिक एक्सपायरी डे अलग-अलग रखने  से एक्सचेंजों को मौका मिलता है कि वे बाजार में हिस्सा लेने वालों कारोबारियों को कुछ अलग तरह के सौदे पेश कर सकें. हालांकि, यदि हफ्ते में काफी ज्यादा एक्सपायरी डे होंगे तो हो सकता है कि एक्सपायरी वाले दिन बहुत ज्यादा उथल-पुथल हो सकती है. यह निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकता है. ऐसे में यह जरूरी समझा गया है कि सभी एक्सचेंजों पर इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के फाइनल सेटलमेंट के दिनों को पक्का किया जाए.

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