Laylatul Qadr Prayers Importance in Holy Night of Ramadan Farishte Brought First Verse of Quran Hazrat Mohammed

Laylatul Qadr 2025: इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना रमजान बेहद पाक महीना होता है. सभी महीनों में इसे अहम दर्जा प्राप्त है. रमजान का महीना वैसे तो रोजा रखने, नमाज, तिलावत और कुरान पढ़ने के लिए है. लेकिन रमजान महीने में ही एक ऐसी रात आती है, जिसमें इस्लाम की सर्वोच्च धार्मिक किताब ‘कुरान’ (Quran) नाजिल हुई थी. इस रात को लैलतुल कद्र की रात कहा जाता है.

कहा जाता है कि कुरान को अल्लाह ने अपने फरिश्ते हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए पैगंबर इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब तक पहुंचाया था. कुरान ऐसी किताब है जिसमें ना कोई शब्द जोड़ा जा सकता है और ना ही हटाया जा सकता है. मसलकों, फिरकों और तमाम मतभेदों के बाद भी मुसलमानों का मानना है कि कुरान एक आसमानी और अल्लाह द्वारा भेजी गई किताब है. रमजान के महीने में कुरान की पहली आयत धरती पर उतारी गई थी. कुरान कि सूरह अलबकरा की आयत 185 में अल्लाह फरमाते हैं कि- रमजान वही महीना है जिसमें आसमान से कुरान को नाजिल किया गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रमजान की 29 या 30 रातों में वह कौन सी रात थी जिसमें कुरान नाजिल हुई.

लैलतुल कद्र की रात

रमजान के तीसरे अशरे की आखिरी 10 रातों में 5 रातें ऐसी होती हैं, जिसे लैलतुल कद्र कहा जाता है. ये 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रात होती है. पैगंबर मोहम्मद ने इन रातों को इबादत करने और मांफी मांगने के लिए कहा है. कहा जाता है कि, कुरान की पूरी किताब एक साथ धरती पर न उतारकर थोड़ी-थोड़ी किताब (आयतें) 23 साल में उतारी गई थी. लेकिन कुरान की पहली आयत रमजान के लैलतुल कद्र की रातों में उतारी गई थी.

इस्लामिक मान्यता अनुसार, पैगंबर मुहम्मद जब 40 वर्ष के थे, तब रमजान के दौरान वे हिरा की गुफा में अल्लाह की इबादत कर रहे थे, तभी कुरान नाजिल हुआ. हालांकि किस रात में कुरान नाजिल हुई यह साफ तौर पर नहीं बताया गया. लेकिन कहा जाता है कि लैलतुल कद्र की रातों में ही कुरान नाजिल हुई थी. लेकिन अधिकतर सहाबा मानते हैं कि वो 27वीं रात ही थी. इसलिए लैलतुल कद्र की रातों को फरमान की रात या शक्ति की रात कहा जाता है, जोकि इस्लामिक कैलेंडर की सबसे अहम रातों में एक है.

लैलतुल कद्र की रात क्या करें?

  • इस्लाम में लैलतुल कद्र की रात को हजारों महीनों में बेहतर बताया गया है. यह रात इबादत करने और अल्लाह से माफी मांगने का बेहतर मौका होता है.
  • लैलतुल कद्र की रात तहज्जुद की नमाज अदा करनी चाहिए. इस समय की नमाज में कुरान की लंबी-लंबी आयतें पढ़ें.
  • लैलतुल कद्र की रात कुरान की तिलावत करनी चाहिए. कुरान पढ़ते समय अपने परिवार, दोस्त और चाहने वालों के लिए भी दुआ करें.
  • लैलतुल कद्र पर अल्लाह से माफी मांगने के लिए दुआ करें. इसके लिए दुआ है- “अल्लाहुम्मा इन्नाका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफवा फाउफु अन्नी”.

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