Enforcement Directorate: ईडी ने 6 मार्च 2025 को तमिलनाडु के कई जिलों में छापेमारी की थी. इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में सबूत बरामद किए गए थे. ये छापेमारी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई. मामला तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TASMAC) से जुड़ा हुआ है, जिसमें भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं. ED ने अपनी जांच कई एफआईआर के आधार पर शुरू की थी, जो प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 1988 के तहत दर्ज हुई थी. इन मामलों में मुख्य रूप से तीन तरह के भ्रष्टाचार सामने आए हैं.
MRP से ज्यादा कीमत वसूला जा रहा था
TASMAC की दुकानें शराब की बोतलों पर 10 से 30 रुपये तक ज्यादा वसूल रही थी. दूसरा आरोप लगा है कि ये डिस्टिलरी कंपनियों से रिश्वत लेते थे. शराब आपूर्ति के बदले TASMAC के अधिकारियों को डिस्टिलरी कंपनियों से मोटे कमीशन मिल रहे थे. तीसरा रिश्वत के बदले ट्रांसफर और पोस्टिंग TASMAC के सीनियर अधिकारियों पर ये आरोप है कि वे दुकानों से रिश्वत लेकर कर्मचारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर कर रहे थे.
टेंडर में जमा कराए फर्जी दस्तावेज
ED की छापेमारी में TASMAC के ऑफिस और शराब बनाने वाली कंपनियों से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के सबूत मिले है. जांच में सामने आया कि ट्रांसपोर्ट टेंडर में फर्जी दस्तावेज जमा कर कंपनियों को ठेका दिया गया. इसके अलावा आवेदन में दर्ज KYC डिटेल्स और डिमांड ड्राफ्ट (DD) में भारी गड़बड़ियां पाई गई. कई मामलों में केवल एक ही बोलीदाता को ठेका मिला, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ. इतना ही नहीं TASMAC हर साल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसपोर्ट पर खर्च करता है.
ED की जांच में ये भी सामने आया कि बिना GST और PAN नंबर वाले फर्जी आवेदकों को ठेका मिला. टेंडर की शर्तों में हेरफेर कर मनचाही कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया. छापेमारी के दौरान ED को ऐसे दस्तावेज मिले है जिनसे ये साफ है कि डिस्टिलरी कंपनियां सीधे TASMAC अधिकारियों से संपर्क में थी और अधिक सप्लाई ऑर्डर लेने के लिए घूस दी जा रही थी. जांच में ये भी सामने आया कि शराब बनाने और बोतल पैक करने वाली कंपनियों ने मिलकर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की हेरफेर की. इस घोटाले में कई नामी कंपनियां शामिल है.
- डिस्टिलरी कंपनियां– SNJ, Kals, Accord, SAIFL, Shiva Distillery
- बॉटलिंग कंपनियां– Devi Bottles, Crystal Bottles, GLR Holding
आखिरकार कैसे हुआ 1000 करोड़ का घोटाला
डिस्टिलरी कंपनियों ने फर्जी खर्च दिखाकर नकली खरीददारी दिखाई. बॉटलिंग कंपनियों ने ज्यादा बिक्री के फर्जी आंकड़े बनाए ताकि पैसों की हेरफेर की जा सके. इन कंपनियों ने कैश निकालकर कमीशन काटने के बाद पैसे वापस लौटाए. ये पूरा खेल फर्जी बिल, हेरफेर किए गए वित्तीय रिकॉर्ड और छिपे हुए कैश फ्लो के जरिए चलाया जा रहा था. ED अब TASMAC अधिकारियों, डिस्टिलरी और बॉटलिंग कंपनियों के कर्मचारियों और अन्य जुड़े हुए लोगों की भूमिका की गहराई से जांच कर रही है. इस घोटाले में कई बड़े नामों का खुलासा हो सकता है और जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती है.
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