Holi 2025 how can celebrate dhulandi when there death in the family What rules be followed

Holi 2025: होली, धूलंडी या रंगोत्सव का पर्व सनातन धर्म में प्राचीन समय से ही फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता रहा है. होली से एक दिन पूर्व भक्त प्रह्लाद की अच्छाई की चिता में बुराई की होलिका का दहन इस पर्व का सार बन गया. होली ऐसा पर्व है जो खुशी, उत्साह और रंग से सराबोर होता है. इसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली मनाते हैं. लेकिन घर पर किसी की मृत्यु हो जाए तो क्या हम होली का त्योहार मना सकते हैं? इस दौरान हमें किन नियमों का पालन करना चाहिए, चलिए जानते हैं.

शास्त्रों में जन्म से लेकर मृत्यु के बाद के भी कई नियम बताए गए हैं, जिसके मुताबिक अगर घर पर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उस घर पर सूतक लग जाता है और 13 दिन तक विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है. इसी के साथ जिस घर पर मृत्यु हो जाए वहां पूरे वर्ष कोई भी पर्व-त्योहार नहीं मनाते और ना ही कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.

आइए जानते हैं होली को लेकर क्या है नियम

अगर किसी परिवार में होली के दिन ही किसी सदस्य की मृत्यु हुई हो जाए तो वहां उस साल होली का त्योहार नहीं मनाया जाएगा. लेकिन आप इसके अगले साल से होली का त्योहार मना सकते हैं. आमतौर पर अन्य तीज-त्योहारों में अगर पर्व के दिन ही किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उस त्योहार खोटा मान लिया जाता है और उस त्योहार को हमेशा के लिए नहीं मनाया जाता. जब उसी त्योहार पर घर पर किसी नवजात का जन्म होता है या नववधू का आगमन होता है, तब फिर से उस त्योहार को मनाने की शुरुआत होती है. लेकिन होली में ऐसा नहीं है. होली को लेकर शास्त्रों में अलग नियम बताए गए हैं.

होलिका की मृत्यु से जब हिरण्यकश्यप का परिवार मृत्युशोक से हुआ था प्रभावित

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जब अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी तो अग्निदेव से न जलने का वरदान पाने के बावजूद वह चिता में जलकर भस्म हो गई. इससे हिरण्यकश्यप का परिवार मृत्युशोक से प्रभावित हो गया. होलिका का विवाह फाल्गुन पूर्णिमा के दिन इलोजी से होना तय किया गया था. लेकिन इससे एक दिन पूर्व ही वह अग्नि में जलकर भस्म हो चुकी थी.

ऐसे हुए हिरण्यकश्यप के महल की शुद्धि

जब इलोजी होलिका से विवाह करने हिरण्यकश्यप के महल बारात लेकर पहुंचे तो उसे होलिका के जलकर भस्म होने की सूचना मिली. इलोजी ने जैसे ही अपनी होने वाली अर्धांगिनी की मौत की खबर सुनी तो वह प्रेम और विरह से विभोर होकर अग्नि में कूद गया. लेकिन तब तक अग्नि शांत हो चुकी थी इसलिए इलोजी को कुछ नहीं हुआ. इलोजी को कुछ समझ नहीं आ रहा था और अपना मानसिक संतुलन खोते हुए उसने होलिका के भस्म को चारों ओर बिखेरना और लोगों पर उड़ाना शुरू किया. लोगों को लगा की अग्नि में भस्म हुई बुराई की शुद्धि इस राख से हो गई. इसके बाद से ही होलिका दहन के बाद उसके भस्म और राख उड़ाई जाती है और लोग एक दूसरे को इसका तिलक लगाते हैं.

होली के दिन किसी की मृत्यु हो तो क्या करें: अगर घर पर किसी सदस्य की मृत्यु सालभर के किसी भी दिन हुई तो माना जाता है कि होलिका दहन के साथ ही सारी अशुद्धियां जलकर राख हो जाती है. इसलिए होलिका दहन होने के बाद आप शुभ कार्य भी कर सकते हैं और होली का त्योहार भी मना सकते हैं. लेकिन अगर होली के दिन ही मृत्यु हो जाए तो उस साल होली का त्योहार न मनाएं, क्योंकि शोकाकुल परिवार को 13 दिनों तक सूतक नियमों का पालन करना होता है.

इस तरह होती है शुभ कामों की शुरुआत: होलिका दहन के बाद घर की शुद्धि हो जाती है. इसी के कुछ दिन बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है, जिसके साथ ही फिर से शुभ-मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इसलिए परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होली के दिन हो जाए तो केवल उसी वर्ष होली नहीं मनती. आप इसके अगले साल से होली मना सकते हैं. वहीं होली के कुछ दिन पूर्व यदि मृत्यु हो तो ऐसी स्थिति में आप होली मना सकते हैं, क्योंकि होलिका की अग्नि में सारी अशुद्धियां स्वत: ही समाप्त हो जाती है.

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