Chaitra month starting after Holi 2025 so special in Hinduism Know from Astrologer

Chaitra Masa 2025: चैत्र महीने में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची थी और भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. चैत्र महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि में होता है और इसी महीने में पहली ऋतु होती है यानी वसंत का मौसम होता है. श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र 15 मार्च से शुरू शुरू होगा.

लेकिन 15 दिनों बाद यानी 30 मार्च को हिंदू नववर्ष शुरू होगा. इन 15 दिनों की गिनती नए साल में नहीं होती, क्योंकि इन दिनों चंद्रमा अंधेरे की ओर यानी अमावस्या की तरफ बढ़ता है. इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता है, लेकिन सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने की बात करता है, इसलिए चैत्र महीने की अमावस्या के अगले दिन पहली तिथि को जब चंद्रमा बढ़ने लगता है तभी नववर्ष मनाते हैं.




चैत्र मास 2025 , व्रत-त्योहार सूची (Chaitra Masa 2025)
















15 मार्च 2025  चैत्र मास प्रारंभ
16 मार्च 2025 भाई दूज
17 मार्च 2025  भालचद्र संकष्टी चतुर्थी
19 मार्च 2025 रंग पंचमी
21 मार्च 2025  शीतला सप्तमी
22 मार्च 2025 शीतला अष्टमी, बसोड़ा, कालाष्टमी
25 मार्च 2025 पापमोचिनी एकादशी
27 मार्च 2025 प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
29 मार्च 2025 सूर्य ग्रहण, चैत्र अमावस्या
30 मार्च 2025 गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्रि
31 मार्च 2025 गणगौर 
06 अप्रैल 2025 रामनवमी
12 अप्रैल 2025 चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती

इस महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि, मेष में प्रवेश करता है. इन दिनों वसंत ऋतु रहती है और मौसम भी बदलता है. जिससे सेहत संबंधी बदलाव भी होते हैं. इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है. क्योंकि इन दिनों में कई व्रत और पर्व आते हैं. सेहत को ध्यान में रखते हुए इस महीने में आने वाले व्रत-पर्व की परंपराएं बनाई गई हैं. इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे पानी से नहाना चाहिए. इसके बाद उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर दिनभर में एक बार ही खाना खाना चाहिए. ऐसा करने से बीमारियों से बचे रहते हैं और उम्र भी बढ़ती है. ये बातें पुराणों के साथ ही आयुर्वेद ग्रंथों में कही गई है. पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी. इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था. प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई.

ब्रह्म और नारद पुराण: ब्रह्मा जी ने की सृष्टि की रचना
सनातन काल गणना में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नववर्ष शुरू होता है, क्योंकि ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. सृष्टि की रचना के करीब दो अरब साल बाद सम्राट विक्रमादित्य ने नया संवत् चलाया. ये उसी दिन से शुरू होता है जिस दिन सृष्टि बनी थी. ब्रह्माण्ड पुराण में इस तिथि को नए संवत्सर की पूजा करने का विधान बताया गया है. तिथि और पर्व तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में इस तिथि को पुण्यदायी कहा गया है. इस तिथि को युगादि कहा जाता है. यानी इस दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी. इस विक्रम संवत में दो तरह से महीनों की गिनती होती है. महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है. वहीं, उत्तर भारत सहित ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है. इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना तो लग जाता है लेकिन हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन बीतने के बाद शुरू होता है.

चैत्र महीने में हुआ भगवान विष्णु का पहला अवतार
पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी. इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था. प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई.

चैत्र महीने में क्या करें और क्या नहीं करें
महाभारत के मुताबिक इस महीने एक समय खाना-खाना चाहिए. नियमित रुप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करने चाहिए. इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग का विधान है. ऐसा करने से तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं. इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना करना चाहिए. जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है. चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और लाल फलों का दान करना चाहिए.

चैत्र महीने में एक वक्त खाना खाने से बीमारियों से बचे रहते हैं. इस महीने में गुड़ खाने की मनाही है. वहीं, नीम के पत्ते खाने की बात आयुर्वेद कहता है. सोने से पहले हाथ-मुंह धोने चाहिए और पतले कपड़े पहनने चाहिए. हल्के कपड़े पहनने चाहिए. संतुलित श्रंगार करना चाहिए. इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए. इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए. आयुर्वेद के मुताबिक इस महीने में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए. गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए.

  • न करें दूध का सेवन
    चैत्र मास में पेट का पाचन थोड़ा सा कमजोर हो जाता है इसलिए इस महीने में दूध का सेवन करना बंद कर दें. इस महीने में दूध का सेवन करना नुकसानदेह हो सकता है. दूध की बजाए इस महीने में दही और मिसरी का सेवन करने से लाभ होगा.
  • कर दें नमक का त्यााग
    चैत्र मास में नमक का सेवन न करें. इस महीने में कम से कम 15 दिन नमक का सेवन न करें. अगर त्या ग न कर सकें तो आप सेंधा नमक भी खाकर काम चला सकते हैं. इस महीने में जिन लोगों को हाई बीपी रहता है उनके लिए नमक छोड़ देना सबसे ज्याशदा लाभ देने वाला होता है.
  • न करें अधिक तला भुना भोजन 
    चैत्र मास में तली भुनी चीजों का प्रयोग कम से कम करें. इस महीने में आपको अपच की समस्या रहती है. इस महीने में आपको अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए. तरल चीजों का प्रयोग करें और पानी वाले फल अधिक खाएं.

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