Holika Dahan 2025: खुशियों और रंगों का त्योहार होली जिसे हर कोई बड़े ही धूम धाम से मनाता है. रंगों की फुहार हर ओर नजर आती है. दुश्मनी पर दोस्ती का गुलाल लगाकर खत्म की जाती है दुश्मनी. होलिका दहन के साथ खत्म हो जाती हैं नफरतें. लेकिन होलिका दहन पर कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा तो परेशानी भी हो सकती है. होली की बरसों पुरानी प्रथा को लेकर अलग-अलग मान्यताएं और जानकारियां हैं.
होलिका दहन के पूजन को लेकर पुजारियों और पंडितों का मानना है कि होलिका दहन के समय ऊपरी शक्तियां (नकारात्मकता) उजागर होती हैं. होलिका दहन के समय इन बाधाओं का बड़ा जमावड़ा अदृश्य शक्तियां होती हैं. इसलिए होलिका दहन के समय छोटे बच्चों का खास ख्याल जाता है, जिससे कि बच्चों पर ऊपरी शक्तियों के बाधाओं का असर न हो.
1-9 साल के बच्चों को न दिखाएं होलिका दहन
वैसे तो होली की शुरुआत होलिका दहन के होती है. खुशियों के साथ शुरू होने वाला ये पर्व जहां एक ओर खुशियों का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर इसका संबंध नेगेटिव शक्तियों से भी होता है. पुजारियों और पुरानी मान्यताओं की माने तो होलिका दहन के दिन ऊपरी शक्तियों का खतरा बढ़ जाता है. इन बुरी शक्तियों का शिकार छोटे बच्चे हो सकते हैं. जानकार बताते हैं कि होलिका दहन के समय एक साल से नौ साल के बच्चों को होलिका दहन के समय पास नहीं लेकर जाना चाहिए.
छोटे बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है होलिका
क्योंकि कई लोग होलिका दहन में तंत्र विद्या करते हैं, बाधाएं उतारते हैं और बुरी शक्तियों का नाश करते हैं. पूजा के उपरांत जब होलिका दहन की होती है तो बुरी शक्तियां दहन के वक्त जागृत होकर होलिका की अग्नि से बचने का प्रयास करती हैं. ऐसे में होलिका की अग्नि से निकलकर ये बुरी शक्तियों वहां मौजूद बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं.
आचार्य पंकज द्विवेदी का कहना है कि, होली खुशियों का त्योहार है. इस त्योहार में कुछ सावधानियां बरतने से आप अपने छोटे बच्चों को बुरी शक्तियों और ऊपरी बलाओं से बचा सकते हैं, क्योंकि अमूमन लोग होलिका दहन के वक्त अपने घर की तमाम बाधाओं को उतार कर होलिका दहन में डालकर उसे नष्ट करते हैं, जिसके चलते अपने एक साल से नौ साल तक के बच्चों को होलिका दहन के वक्त नजदीक न लेकर जाएं और न ही उन्हें जलती हुई होली दिखाएं. इससे छोटे बच्चे सुरक्षित रहेंगे.
वहीं आचार्य पंकज ने बताया कि जब होलिका दहन की जाती है तो उससे पहले उसकी पूजा अर्चना की जाती है. मंत्रों से युक्त कलावे से होलिका को बांधा जाता है जिससे बुरी शक्तियां इसके अंदर प्रवेश होने के दौरान बाहर न आ सकें. लेकिन कुछ शक्तियां प्रभावशाली होती है जो बंधन किए जाने के बाद भी होलिका से बाहर निकल आती हैं.
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