डरें नहीं! शेयर बाजार में आ चुकी है इससे भी बड़ी गिरावट, निवेशकों को हर बार मिला है पहले से भी ज्यादा रिटर्न – indian stock markets fall 20 percent but history shows worse crashes have recovered

भारतीय शेयर बाजार में इन दिनों गिरावट का आलम है। सेंसेक्स और निफ्टी अपने ऑलटाइम हाई से 14% तक गिर चुके हैं। निफ्टी 500 इंडेक्स तो 20% तक टूट चुका है। निवेशकों में डर और घबराहट का माहौल बना हुआ है। लेकिन अगर हम इतिहास पर नजर डालें, तो शेयर बाजार इससे भी कई बड़े संकट झेल चुका है और हर बार इसने पहले से ज्यादा मजबूती के साथ वापसी की है।

शेयर बाजार के अगर पिछले 30 सालों के आंकड़ों को देखें तो, सिर्फ 8 बार यानी 8 साल तीनों इंडेक्स- सेंसेक्स, निफ्टी और निफ्टी 500 में गिरावट देखने को मिली है। वहीं बाकी के 22 साल शेयर बाजार ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है।

सबसे बड़ा क्रैश 2008 में आया, जब अमेरिका की Lehman Brothers बैंक डूब गई थी। इसके बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट में आ गई और विदेशी निवेशकों ने भारत जैसे इमर्जिंग शेयर बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इसके चलते सेंसेक्स, निफ्टी और निफ्टी 500 उस समय 60% से ज्यादा गिर गए थे।

लेकिन तीन साल के अंदर बाजार ने ऐतिहासिक वापसी की! वित्त वर्ष 2010 में, भारतीय शेयर बाजार ने रिकॉर्ड तोड़ उछाल दर्ज किया और निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न मिला। सेंसेक्स ने उस फाइनेंशियल ईयर 80 पर्सेंट का बंपर रिटर्न दिया था। इसके अलावा भी कई मौकों पर शेयर बाजार को बड़े झटके लगे लेकिन हर बार वापसी देखने को मिली।

साल 2013 में US फेडरल रिजर्व ने ने संकेत दिया कि वह धीरे-धीरे अपनी इकॉनमी में डाले गए पैसे को निकालने वाला है, तो इमर्जिंग शेयर मार्केट्स में अफरातफरी मच गई। नतीजा? बाजार में तेज गिरावट। लेकिन 1 साल में ही भारतीय बाजार ने वापसी कर ली। साल 2016 में नोटबंदी के फैसले के बाद भी भारी गिरावट देखने को मिली थी। सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई। लेकिन कुछ ही महीनों में बाजार फिर से मजबूत हुआ।

फिर साल 2020 में कोरोना महामारी का झटका लगा। उस समय शेयर बाजार में जितनी तेज और बड़ी गिरावट आई थी, शेयर बाजार ने उतनी ही तेजी के साथ वापसी भी की। सिर्फ 6 से 8 महीनों के अंदर शेयर बाजार ने पुराने स्तरों को पार कर लिया।

अब इस साल 2025 में जो हो रहा है, वह भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी, ऊंची ब्याज दरें और कंपनियों की कमजोर अर्निंग्स ग्रोथ – इन सभी कारणों से निवेशक घबरा रहे हैं। इसका असर यह हुआ है कि निफ्टी और सेंसेक्स, सितंबर 2024 के बाद से अब तक 14% गिर चुके हैं। वहीं पर निफ्टी 500 इंडेक्स ने 20% तक गोता लगा लिया है, जिससे यह बियर मार्केट में प्रवेश कर चुका है।

अब सवाल उठता है कि क्या यह गिरावट आगे और बढ़ेगी, या फिर यह शेयर बाजार में खरीदारी का मौका हो सकता है। कई बड़े ब्रोकरेज फर्म्स ने शेयर बाजार में आई इस गिरावट पर अपनी राय रखी है। Jefferies का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार अब अपने लॉन्ग-टर्म वैल्यूएशन एवरेज के करीब पहुंच रहा है। इसका मतलब यह हो सकता है कि यहां से बाजार में शॉर्ट-टर्म बाउंस बैक देखने को मिल सकता है। Citigroup ने भी बाजार को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं और उसने इस साल के अंत तक निफ्टी के 26,000 स्तर तक जाने का अनुमान जताया है।

इसके अलावा Emkay Global का मानना है कि कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ में गिरावट का दौर अब समाप्त हो सकता है, जिससे वित्त वर्ष 2026 भारतीय शेयर बाजारों के लिए बेहतर साबित हो सकता है।

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