
हिमालय की गोद में बसे उत्तरकाशी को भगवान शिव का कलियुग का दूसरा निवास माना जाता है. यहां भी काशी विश्वनाथ मंदिर विद्यमान हैं.

महाशिवरात्रि पर बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी समेत यमुना घाटी में शिव बारात में पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिली.

शिव की बारात और काशी विश्वनाथ मंदिर के ध्वज की शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों पर स्थानीय संस्कृति एवं शिव के प्रति आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला.

शिव नगरी भोले के जयकारों से गूंज उठी। शिवजी की बारात और ध्वज शोभा यात्रा निकाली गई. नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए शोभा यात्रा पौराणिक मणिकर्णिका घाट पहुंची.

शोभा यात्रा के दौरान पारंपरिक परिधानों में सजी क्षेत्र की महिलाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर रांसो एवं तांदी नृत्य किया. विश्वनाथ नगरी उत्तरकाशी महाशिवरात्रि के पर्व पर भोले के जयकारों और भोले की भक्ति से जुड़े गीतों से गुंजयमान रही.

स्कन्द पुराण में भगवान आशुतोष ने संबोधित किया है कि ‘जब पाप का बाहुल्य होगा तथा पृथ्वी यवनों से अक्रान्त हो जायेगी, तब मेरा निवास हिमालय पर्वत में होगा. अनादिसिद्ध हिमालय सर्वदा ही मेरा(शिव) स्थान रहा है. मैं उसको इस समय यानी कलयुग में काशी के सहित समस्त तीर्थों को उत्तर की काशी में युक्त कर दूंगा.’
Published at : 26 Feb 2025 05:26 PM (IST)
ऐस्ट्रो फोटो गैलरी
ऐस्ट्रो वेब स्टोरीज
Read More at www.abplive.com