थालास्सेरी के आर्कबिशप जोसेफ पैम्पलेनी ने बुधवार (26 फरवरी, 2025) को कहा कि मौजूदा वन एवं वन्यजीव कानूनों का उद्देश्य जंगली जानवरों के हितों की रक्षा करना है, न कि राज्य के ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और किसानों के जीवन और आजीविका की रक्षा करना.
आर्कबिशप ने यह टिप्पणी उत्तरी केरल के इस जिले के अरलम फार्म क्षेत्र में हाल में और अतीत में हुए हाथियों के हमलों का जिक्र करते हुए की, जिनमें करीब 16 लोगों की जान जा चुकी है. पैम्पलेनी ने दावा किया कि अरलम फार्म सहित ऊंचे क्षेत्रों के आदिवासियों और किसानों की दुर्दशा को उजागर करने के बावजूद न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार आम लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ कर रही है.
उन्होंने यहां एक निजी कार्यक्रम में दावा किया, ‘इसके बजाय, बड़े उद्योगों द्वारा दिए गए कार्बन फंड से प्रभावित होकर, इन क्षेत्रों को वन क्षेत्र घोषित करने और वहां रहने वाले आदिवासियों और किसानों को चुपचाप हटाने के जानबूझकर प्रयास किए जा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि यह एक ‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण सच्चाई’ है कि ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और किसानों को वन्यजीव कानूनों के तहत कोई अधिकार नहीं है.
बिशप ने पूछा, ‘ऐसी परिस्थितियों में क्या किसी को यह सोचने पर दोषी ठहराया जा सकता है कि सरकारें ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और किसानों को जंगली जानवरों का शिकार और चारा मान रही हैं?’ पैम्पलेनी ने कहा, ‘ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के मामले में जंगली जानवरों और सरकारों का रुख एक जैसा है.’
रविवार को अरलम फार्म के पास जंगली हाथी के हमले में एक आदिवासी दंपति की मौत हो गई, जिससे इलाके में तनाव फैल गया. यह घटना रविवार शाम को घटी, जब वेल्ली (80) और उनकी पत्नी लीला (75) को करिक्कामुक्कू के ब्लॉक 13 स्थित अरलम फार्म में काजू इकट्ठा करते समय जंगली हाथी ने कुचलकर मार डाला.
इसके बाद सरकार ने मृतकों के परिवार को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का आकलन करने के लिए 27 फरवरी को सचिवालय में एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई है.
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