Delhi CM Rekha Gupta: राजधानी दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने वाली है. यह 8 फरवरी को चुनाव नतीजों के बाद ही साफ हो गया था. लेकिन मुख्यमंत्री पद किसे मिलने वाला है, इसे लेकर संशय बना था, जोकि अब साफ हो चुका है. दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बनने वाली है. 20 फरवरी 2025 को रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
दिल्ली में भाजपा की सरकार बनेगी, लेकिन सरकार कैसी चलेगी इसे लेकर एस्ट्रोलॉजर रुचि शर्मा ने गुणा-गणित कर चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है. चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी बार-बार शपथ ग्रहण के समय में बदलाव कर रही थी जोकि यह संकेत कर रहा है कि भाजपा सरकार अच्छे से अच्छे समय पर शपथ ग्रहण कराना चाहती थी, जिससे कि दिल्ली में एक मजबूत सरकार बन सके. इसके लिए शपथ ग्रहण का गुरुवार 20 फरवरी को 12:35 पर तय किया गया है. लेकिन इससे पहले शपथ ग्रहण का समय समय शाम 4:30 बजे था.
कैसी चलेगी दिल्ली की सरकार
यह प्रश्न सभी के मन में है. केवल दिल्लीवासी ही नहीं बल्कि पूरा देश यह जानना चाहता है कि यह सरकार कैसी रहेगी, क्या सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी? इसके लिए शपथ ग्रहण कुंडली पर नजर डालते हैं जोकि वृषभ लग्न की कुंडली है जिसमें बृहस्पति बैठे हैं और सप्तम भाव में चंद्रमा हैं. चंद्रमा नीच के होकर भी बृहस्पति के प्रभाव में होकर अच्छे हो गए हैं. लेकिन उन पर शनि की दृष्टि भी है. दूसरे भाव में मिथुन के मंगल वक्री हैं. छठे भाव में केतु का प्रभाव है और दशम भाव में शनि, बुध और सूर्य बैठे हैं. 11वें भाव में लग्नेश शुक्र उच्च के होकर राहु के साथ है.
इन योग-नक्षत्रों में रेखा गुप्ता लेंगी सीएम पद की शपथ
जब सरकार शपथ लेगी उस समय वृषभ लग्न मृगशिरा नक्षत्र में होगा और चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में होंगे. विशाखा बृहस्पति का नक्षत्र है जो अत्यंत शुभ नक्षत्र माना जाता है और दिन भी गुरुवार का ही है. दशम भाव में सूर्य और शनि का होना सरकार को मजबूती देता है और प्रजा से भी सहयोग प्रदान कराता है. दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी बुध का यहां होना यह बताता है कि विद्यार्थियों, बच्चों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए सरकार की ओर से अच्छे काम किए जा सकते हैं. बृहस्पति का लग्न में होना भी शिक्षा क्षेत्र में भी उन्नति को दिखाता है तो वहीं शुक्र का उच्च का होकर 11वें भाव में जाना यह बताता है कि महिलाओं को विशेष रूप से सहूलियतें दी जा सकती हैं. स्थिर लग्न में सरकार के शपथ लेने से सरकार के चलने की संभावनाएं बढ़ जाती है.
नवमांश कुंडली में सिंह लग्न उदित हो रहा है, जो शपथ कुंडली के चतुर्थ भाव की राशि है. इससे दशम भाव में शनि और चौथे भाव में शुक्र है. सप्तम भाव में बुध और लग्न में राहु बैठे हैं. बृहस्पति 11वें भाव में और चंद्रमा 12 भाव में चले गए हैं तथा सूर्य धनु राशि के होकर पंचम भाव में हैं और मंगल मेष राशि के होकर नवम भाव में हैं. लग्नेश सूर्य का पंचम में होना और बृहस्पति से दृष्टि पाना अच्छी स्थितियों को जन्म देता है. नवांश भी स्थिर लग्न में होना और दशम भाव में शनि का होना तथा नवम भाव में मंगल का होना सरकार को मजबूती तो देगा, लेकिन शनि के पीछे मंगल का होना कई कामों में विरोधाभास की स्थिति को बढ़ाएगा. राहु का लग्न में होना भी तथा चंद्रमा का 12वें भाव में होना भी ज्यादा अच्छा नहीं है. यहां पर सूर्य और शनि षडाष्टक में चले गए हैं, जिससे सरकार और जनता के बीच कई बार तनाव की स्थिति बन सकती है.
लग्न में बृहस्पति को रखकर कई दोषों को समाप्त करने का प्रयास किया गया है लेकिन दूसरे भाव में मिथुन राशि में मंगल वक्री हैं जोकि बता रहे हैं कुछ परेशानी उठानी पड़ सकती है. पंचम भाव में केतु का होना संक्रामक रोगों में बढ़ोतरी दिखाता है. शनि नवमेश और दशमेश होकर दशम में बैठे हैं जो एक अच्छी स्थिति को दिखा रहा है और सरकार को स्थिरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. लेकिन साथ में सूर्य का होना यह बताता है कि सरकार में कुछ लोगों के बीच पारस्परिक तनाव देखने को मिल सकता है. केवल ग्रह ही नहीं शपथ ग्रहण के लिए अष्टमी तिथि चुनी गई है जोकि सप्तमी के उपरांत आ जाएगी और अभिजीत मुहूर्त भी शपथ ग्रहण के समय में रहेगा. इस समय में रवि योग भी रहेगा. इसी समय लाभ का चौघड़िया भी होगा और शनि का होरा सरकार को स्थिरता देने में मदद करेगा.
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि बृहस्पति लग्न में चंद्रमा के नक्षत्र में हैं और चंद्रमा सप्तम भाव में बृहस्पति के नक्षत्र में हैं. इस तरह चंद्र और बृहस्पति का नक्षत्र परिवर्तन भी बना हुआ है जो सरकार को धर्म कर्म के साथ-साथ सही निर्णय लेने में मददगार बनाएगा. लेकिन लग्नेश के साथ ही छठे भाव के स्वामी भी शुक्र हैं जो 11वें भाव में राहु के साथ स्थित हैं. जहां एक तरफ इससे सरकार को स्थिरता और फायदा मिलेगा, वहीं विरोधी भी बार-बार सिर उठाएंगे लेकिन राहु की स्थिति और अन्य ग्रहों की स्थितियों के कारण सरकार उस दबाव से बाहर निकलने में सक्षम बन पाएगी.
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