अभिनेता पंकज कश्यप ने पर्दे पर पेश की रंगभेद की कहानी, बताया चेहरे के रंग ने कई लोगों की जिंदगी खराब कर दी

Kariyatthi 2025 : वेब सीरीज महारानी में लंबे समय तक दिवाकर गुप्ता का किरदार निभाने वाले अभिनेता पंकज कश्यप (Actor Pankaj Kashyap) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. बिहार के सीतामढ़ी में जन्मे पंकज ने कड़े संघर्ष के बीच हौसला नहीं खोया और जुनून का पीछा करते-करते अपनी अलग पहचान बनाई. हाल ही में, रंग भेद और उसके सामाजिक प्रभाव को दर्शाती भोजपुरी फिल्म ‘करियट्ठी’ भारत सरकार की ओटीटी प्लेटफॉर्म वेव्स (Waves) पर रिलीज हुई है. नितिन चंद्रा (Nitin Chandra) के निर्देशन में फिल्म के माध्यम से रंगभेद के दर्द और संघर्ष को दिखाया गया है.

ब्राह्मण परिवार की कहानी है पर आधारित है ‘करियट्ठी’

फिल्म में पंकज अपने उपन्यास का कवर पेज तैयार करते नजर आ रहे हैं. तभी कमरे में उनके एक जूनियर आते हैं और इसकी कहानी उनसे सुनने को उत्सुक रहते हैं. इस दौरान पंकज बताते हैं कि चेहरे के रंग को लेकर कितने लोगों की जिंदगी खराब हो गई. अंग्रेज हमें भूरा कह गया, और हमलोग अपने चेहरे के रंग को गोरा करने के चक्कर में लगे हैं. वह बताते हैं कि भगवान समाज के हिसाब से बनावट रंग नहीं दे सके. जिसके बाद बच्ची को पूरा गांव करियट्ठी (Kariyatthi) कहकर बुलाने बुलाने लगा. इसका किरदार समस्तीपुर निवासी एनएसडी से प्रशिक्षित अन्नू प्रिया (Annu Priya) निभाई हैं. पंकज ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत की है. पढ़ें उनके अभिनय करियर पर आधारित बातचीत के अंश.

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मास कॉम की पढ़ाई के बहाने चल गए थे दिल्ली

पंकज बताते हैं कि उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत बिहार से की थी. ग्रेजुएशन करने के दौरान मुजफ्फरपुर में उत्तम कुमार और मुकुल बंदोपाध्याय से मुलाकात हुई और उनके साथ थियेटर (Theatre) करने लगा. पढ़ाई में कम और थियेटर में ज्यादा रुचि थी. जिसके चलते साल 2003 में स्नातक के बाद मास कॉम की पढ़ाई के बहाने दिल्ली गए, जहां थियेटर से जुड़ावबढ़ा. बता दें कि, घरवालों की इच्छा के बावजूद वह अभिनय में करियर बनाने की ओर अग्रसर हुए. मुंबई में संघर्ष करते हुए उन्होंने खुद को साबित किया और 2009 में वहां जाकर अभिनय में अपनी पहचान बनाई. पंकज का कहना है कि बिहार से मुंबई (Mumbai) तक का सफर काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन यह संघर्ष ही उन्हें यहां तक लाया.

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दादाजी धार्मिक नाटकों का करवाते थे आयोजन

वे कहते हैं कि उनके दादा रामनंदन झा और पिता कृष्ण कुमार झा का कला के प्रति गहरा लगाव था. दादा जी सती सावित्री, रामायण जैसे धार्मिक नाटकों का आयोजन करवाते थे. उनमें कभी कृष्ण तो कभी राम का किरदार निभाया. पिताजी भी नाटकों में भाग लेते थे, लेकिन जैसे मैंने होश संभाला तो उन्होंने नाटकों में काम करना इसलिए बंद कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि नाटकों का प्रभाव मेरे जीवन में पड़े और मैं इसमें करियर बनाने की सोचूं. उनका कहना है कि उनके पहले गुरु ज्ञान प्रकाश ने ही उन्हें अभिनय की दिशा दिखाई, जिसके बाद पंकज ने खुद को अभिनय में समर्पित किया.

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बिहारी होने से करियर को मिली धार

पंकज कहते हैं कि उन्हें सही उच्चारण के लिए काफी प्रैक्टिस करना पड़ा.एग्रेशन व ओवर कॉन्फिडेंस को भी खत्म किया. लेकिन, बिहारी में डेडिकेशन, मेहनती व लॉयल बहुत होते हैं. इसका फायदा मिला. वहीं, उनकी सबसे पसंदीदा भूमिका द सस्पेक्ट, रंगमंच, जुबली व महारानी में रही है. इन फिल्मों व सीरिज की कहानी बहुत शानदार रही हैं. सात ही, अभिनय सिर्फ पैसा या जज्बा को लेकर बताया कि शुरुआत जज्बा से ही होता है. लेकिन, मुंबई में टिकने के लिए पैसे की जरूरत होती है. इसलिए, धीरे-धीरे अभिनय को पेशा बना लिया. लेकिन, स्क्रिप्ट व टीम अच्छी रहती है तो जज्बात भी काम आता है.

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‘महारानी’ में पंकज कश्यप की अहम भूमिका

पंकज कश्यप की भूमिका वेब सीरीज महारानी (Maharani) में बहुत चर्चित रही. इस शो के निर्माता सुभाष कपूर ने पंकज को किरदार निभाने के दौरान उनकी संवाद अदायगी पर ध्यान दिलाया था, क्योंकि किरदार प्रशांत किशोर जैसा था. हालांकि, इस पर चर्चा के बाद स्थिति स्पष्ट हुई और पंकज ने इस भूमिका को बेहतरीन तरीके से निभाया. पंकज का मानना है कि इस शो की कहानी और उनके किरदार ने उन्हें अभिनय की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. वहीं, कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छावड़ा पंकज के करियर में अहम भूमिका निभाते हैं. पंकज का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जब उन्हें ‘महारानी’ में काम मिला, तो यह मुकेश की वजह से हुआ.

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