भारतीय शेयर बाजार पिछले आठ सेशन से लगातार गिरावट का सामना कर रहा है. बीएसई सेंसेक्स 78,583 से गिरकर 75,439 (इंट्रा-डे लो) तक पहुंच गया, जिससे इसमें 3,144 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है. इसी तरह, निफ्टी 50 इंडेक्स 23,739 से घटकर 22,774 पर आ गया, जिसमें कुल 965 अंकों की गिरावट हुई है. बैंक निफ्टी भी शुरू में संभला रहा, लेकिन लास्ट में बिकवाली के दबाव में 50,382 से गिरकर 48,719 तक पहुंच गया, जिससे इसने छह सेशन में 1,663 अंकों की गिरावट झेली.
बीएसई स्मॉल-कैप इंडेक्स में 5,360 अंकों (10.60%) की गिरावट दर्ज की गई, जबकि बीएसई मिड-कैप इंडेक्स 3,878 अंक (8.95%) गिरा. इस भारी गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं. आज हम इसी के बारे में बात करने वाले हैं.
1. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका में समान बेचने पर लगाए जाने वाले टैरिफ का असर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है. मोदी-ट्रंप बैठक के बावजूद, अमेरिका की “टैरिफ नीति” को जारी रखा गया, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है.
2. भारतीय रुपये में कमजोरी
रुपये की लगातार गिरावट के कारण घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) बाजार में भारी निवेश करने से बच रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ब्याज दरों में कटौती के बाद भी रुपये की कमजोरी विदेशी निवेशकों (FIIs) को बाजार से निकाल रही है, जिससे शेयरों में गिरावट जारी है.
3. वित्तीय वर्ष का अंत
फरवरी और मार्च के महीनों में DIIs आमतौर पर बड़े निवेश करने से बचते हैं, क्योंकि वे नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का इंतजार करते हैं. इस कारण, बाजार को सहारा नहीं मिल पा रहा है, जिससे बिकवाली का दबाव बना हुआ है.
4. भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती
हालिया भू-राजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के चलते कंपनियों के लिए मुनाफे की दर बनाए रखना मुश्किल हो रहा है. इसका असर वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (Q3FY25) के नतीजों में देखा गया और यह भी बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण बना.
5. FIIs की बिकवाली
13 फरवरी 2024 तक, FIIs ने भारतीय शेयरों में ₹25,000 करोड़ की बिकवाली की, जबकि DIIs ने केवल ₹21,650 करोड़ की खरीदारी की. यह स्पष्ट करता है कि DIIs अभी भी निचले स्तर पर खरीदारी करने के मूड में नहीं हैं, जिससे बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है.
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