Editor’s Take: फरवरी का महीना अब तक बाजार के लिए बेहद सकारात्मक रहा है. अच्छे बजट, मजबूत RBI पॉलिसी और दिल्ली चुनाव के नतीजों ने निवेशकों को राहत दी है. बाजार के लिए यह एक बेहतरीन संकेत है कि हालिया करेक्शन के बावजूद बाजार स्थिर बना हुआ है और आगे मजबूती दिखाने की क्षमता रखता है.
अब तक क्या अच्छा हुआ?
अच्छा बजट: केंद्र सरकार ने एक संतुलित और विकासोन्मुख बजट पेश किया, जिससे बाजार को मजबूती मिली.
मजबूत RBI पॉलिसी: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों को स्थिर रखते हुए आर्थिक स्थिरता का संकेत दिया, जिससे बाजार में विश्वास बढ़ा.
दिल्ली चुनाव के नतीजे: चुनावी नतीजों ने बाजार को राहत दी, जिससे निवेशकों की धारणा मजबूत बनी रही.
अब तक क्या रहा ठीक?
कंपनियों के नतीजे पिछली तिमाही से बेहतर: हालिया तिमाही नतीजों में ज्यादातर कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है.
अमेरिकी बाजार स्थिर: अमेरिका में आर्थिक स्थिरता बनी हुई है, जिससे ग्लोबल मार्केट्स में अस्थिरता नहीं दिख रही.
सही वैल्यूएशन: हालिया करेक्शन के बाद भारतीय बाजार के वैल्यूएशन ठीक-ठाक स्थिति में आ गए हैं, जिससे निवेशकों के लिए आकर्षक अवसर बन रहे हैं.
FIIs की बिकवाली कम होने के संकेत: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली में कमी देखने को मिल रही है, जिससे बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद है.
अब और क्या हो तो बाजार में जोरदार तेजी आए?
FIIs की बिकवाली पूरी तरह रुकनी चाहिए. जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहेगी, बाजार पर दबाव बना रहेगा.
रुपया मजबूत होना चाहिए और डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आनी चाहिए. अगर डॉलर इंडेक्स कमजोर होता है, तो इससे विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में वापसी संभव हो सकती है.
टैरिफ वॉर पर ट्रंप थोड़ा नरम पड़ जाएं. अगर अमेरिका-चीन व्यापार विवाद में कोई सकारात्मक संकेत मिलता है, तो इससे ग्लोबल मार्केट्स को राहत मिल सकती है.
किस ट्रिगर से मिलेगी बाजार को नई दिशा?
टैरिफ वॉर: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर टैरिफ को लेकर आक्रामक रुख अपनाते हैं, तो यह बाजार के लिए झटका हो सकता है. लेकिन अगर वह नरम पड़ते हैं, तो बाजार में नई तेजी आ सकती है.
डॉलर और रुपया: अगर रुपया मजबूत होता है और डॉलर इंडेक्स कमजोर होता है, तो यह भारतीय बाजार के लिए फायदेमंद साबित होगा.
FIIs का रुख: विदेशी निवेशकों की खरीदारी दोबारा शुरू होती है, तो इससे बाजार को नई मजबूती मिलेगी.
मिड और स्मॉलकैप से पैनिक खत्म हो: बड़े शेयरों के साथ-साथ अगर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में स्थिरता आती है, तो बाजार और तेजी पकड़ सकता है.
दिल्ली का चुनाव जीतेगा बाजार का दिल?
दिल्ली चुनाव के नतीजे बाजार के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आए हैं. इससे निफ्टी को लगभग 100 प्वाइंट का सपोर्ट मिल सकता है. हालांकि, बाजार अब इस बात पर नजर रखेगा कि राज्य सरकारें अपने फ्रीबीज (मुफ्त योजनाओं) के लिए पैसा कहां से लाएंगी. इसके अलावा, अब कोई बड़ा चुनाव नजदीक नहीं है, जिससे सरकार विकास कार्यों और आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है, जो बाजार के लिए अच्छा रहेगा.
टैरिफ वॉर पर ट्रंप की फिर से टेढ़ी नजर
आज ट्रंप स्टील और एल्युमिनियम इंपोर्ट पर 25% टैरिफ की घोषणा करने वाले हैं, जिससे वैश्विक बाजारों पर असर पड़ सकता है.
अन्य देशों द्वारा जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा भी इसी हफ्ते संभव है, जिससे ट्रेड वार और बढ़ सकता है.
अगर टैरिफ वॉर का असर ज्यादा बढ़ता है, तो यह बाजार के लिए नकारात्मक संकेत हो सकता है.
FIIs की बिकवाली कम, बाजार में लौटेगा दम?
हाल ही में FIIs की बिकवाली कम हुई है, लेकिन अभी तक उनकी ओर से खरीदारी के मजबूत संकेत नहीं मिले हैं. बाजार के लिए सबसे जरूरी है कि FIIs की बिकवाली पूरी तरह रुक जाए और वे दोबारा भारतीय बाजार में पैसा लगाना शुरू करें.
गिरावट में खरीदें या उछाल में बेचें?
ट्रेडर्स के लिए दोनों तरफ मौके हैं. अगर आप ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो गिरावट में खरीदें और उछाल पर बेचें.
निवेशकों को गिरावट में खरीदारी करनी चाहिए. अच्छी क्वालिटी वाले शेयरों में धीरे-धीरे निवेश करना बेहतर होगा ताकि लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न मिले.
Buy on Dips की रणनीति अपनाएं और मिड-स्मॉलकैप सेगमेंट में पैसा लगाते समय थोड़ा सतर्क रहें.
EDITOR’S TAKE: बाजार के लिए क्या है आगे की रणनीति?
टैरिफ वॉर को छोड़कर बाजार के लिए ज्यादातर संकेत सकारात्मक दिख रहे हैं. अगर FIIs की बिकवाली नहीं बढ़ती और वे धीरे-धीरे दोबारा बाजार में निवेश करने लगते हैं, तो भारतीय बाजार में मजबूती बनी रहेगी.
रिस्क-रिवार्ड रेश्यो फिलहाल खरीदारी के पक्ष में है.
अगर दिग्गज शेयर मजबूत बने रहते हैं, तो मिड-स्मॉलकैप में भी खरीदारी बढ़ेगी.
बाजार में उछाल देखने के लिए FIIs की खरीदारी लौटना सबसे जरूरी ट्रिगर रहेगा.
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