Shab e barat 2025 kyu manate hain muslims What happened on shabe barat importance in islam

Shab-E-Barat 2025: इस्लाम में रमजान की तरह ही माह-ए-शाबान को भी बेहद पाक और मुबारक महीना माना जाता है. शाबान इस्लामिक कैलेंडर का 8वां महीना है, जिसकी 14वीं और 15वीं दरमियानी रात को मुसलमान शब-ए-बरात का त्योहार मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए शब-ए-बरात खास त्योहारों में एक है. इस दिन लोग विशेषकर अल्लाह की इबादत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि शब-ए-बारात की रात की गई इबादत का सवाब बहुत ज्यादा मिलता है.

शब-ए-बारात 2025 कब (Shab-E-Barat 2025 Date)

साल 2025 में शब-ए-बारात का त्योहार 13 फरवरी को मनाया जाएगा. शब-ए-बरात की रात को मुसलमान क्षमा और प्रार्थना करते हैं, इसलिए इसे फजीलत की रात मानी जाती है. आइए जानते हैं शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इस रात मुसलमान क्या करते हैं?

शब-ए-बारात से जुड़ी मान्यताएं (Why Muslim Celebrate Shab E Barat)

  • शब-ए-बारात को लेकर कई तरह की इस्लामिक धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं. सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि इसी पाक दिन पर अल्लाह के नूर के संदूक को बाढ़ से बचाया गया था.
  • वहीं शिया मुसलमानों का मानना है कि 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी की पैदाइश 15 शाबान हो हुई थी. इसलिए शब-ए-बारात मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात सभी गुनाहों की माफी मिल जाती है. इसलिए इस पाक रात में मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और गुनाहों से तौबा करते हैं.
  • वहीं एक हदीस में पैंगबर मुहम्मद को शाबान की 15वीं तारीख में जन्नतुल बकी का दौरा करते देखा था.
  • सुन्नी मुसलमानों के मुताबिक, अल्लाह शब-ए-बारात की रात नर्क में यातनाएं झेल रहे मुसलमानों को आदाज करते हैं. इसलिए शब-ए-बारात पर लोग अपने मृत पितरों के कब्रिस्तान जाकर साफ-सफाई करते हैं, फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं.

शब-ए-बारात कैसे मनाते हैं मुसलमान (How Muslim Celebrate Shab E Barat)

शब-ए-बारात पर मुसलमान पूरी रात जागकर प्रार्थना करते हैं. महिलाएं घर पर रहकर प्रार्थना करती हैं तो वहीं पुरुष मस्जिद जाकर प्रार्थना करते हैं. साथ ही लोग अपने गुनाहों की माफी भी मांगते हैं. इस दिन रोजा रखने की भी परंपरा है. हालांकि यह फर्ज न होकर नफिल रोजा होता है. यानि अनिवार्य नहीं माना जाता, लोग अपनी श्रद्धानुसार रोजा रख सकते हैं. साथ ही जरूरतमंदों के लिए जकात निकाली जाती है. शब-ए-बारात पर मुसलमान मोमबत्ती और लाइटे जलाते हैं, विभिन्न तरह के पकवान बनाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, मीठा व्यंजन भी बनता है और मस्जिद में सामूहिक प्रार्थना की जाती है.

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