Delhi Elections Result 2025: दिल्ली में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत की वैसे तो कई वजह है, लेकिन एक बड़ी वजह तकरीबन साढ़े छह सौ किलोमीटर दूर प्रयागराज में महाकुंभ का दिव्य और भव्य आयोजन और यहां से निकलने वाला सनातनियों की एकजुटता का बड़ा संदेश भी है. यह एक ऐसा फैक्टर है जिस पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो.
महाकुंभ में अब तक जो 41 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे हैं, अनुमान के मुताबिक उनमें से तकरीबन 75 से 80 लाख देश की राजधानी दिल्ली के थे. महाकुंभ आने वाले इन श्रद्धालुओं ने बीजेपी की डबल इंजन की सरकार में आयोजित महाकुंभ की जो दिव्यता और भव्यता देखी. यहां श्रद्धालुओं के लिए किए गए जिन इंतजामों को देखा, उससे वह खासे प्रभावित हुए. उन्हें लगा कि सनातनियों की आस्था के सबसे बड़े समागम के लिए जितनी बेहतर व्यवस्था बीजेपी के राज में हो सकती है, किसी दूसरी पार्टी की सरकार में नहीं.
बीजेपी की जीत से खुश संत-महात्मा
इसके साथ ही महाकुंभ से निकले सनातनियों की एकता और सामाजिक समरसता के संदेश ने भी लोगों को खूब प्रभावित किया. यही वजह है कि प्रयागराज के महाकुंभ में मौजूद ज्यादातर संत महात्मा भी बीजेपी की जीत से खुश हैं. उनका कहना है कि महाकुंभ के आयोजन को लेकर विपक्ष ने जिस तरह से सियासत की और जिस तरह के सवाल उठाए, वह कतई उचित नहीं था. ऐसे में उन्हें भी अपने भक्तों को यह संदेश देना पड़ा था कि जो भी पार्टी सनातन की बात करे, देश की बात करे और उसका समर्थन करना ही चाहिए.
दिल्ली में बीजेपी की जीत के लिए प्रयागराज महाकुंभ में कुछ संतों के शिविरों में धार्मिक अनुष्ठान कर पूजा अर्चना भी की गई थी. इस बारे में गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती का कहना है कि दिल्ली के नतीजे से उन विपक्षी पार्टियों को नसीहत लेनी चाहिए, जो महाकुंभ के आयोजन को लेकर लगातार खामियां गिनाने में लगे हुए थे. स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती के मुताबिक ऐसे नेताओं को महाकुंभ में आकर गंगा में आस्था की डुबकी लगानी चाहिए और अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहिए.
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कैसे आसान हुई राह
वैष्णव संप्रदाय के निर्मोही अणी अखाड़े के अध्यक्ष श्री महंत राजेंद्र दास का इस बारे में कहना है कि महाकुंभ की आभा और यहां से निकले संदेश ने ही दिल्ली में बीजेपी की राह को आसान किया है. तमाम दूसरे संत महात्माओं का भी यही कहना है कि 2019 के कुंभ में भी बेहतरीन व्यवस्था और दिव्या व भव्य आयोजन के तीन महीने बाद लोकसभा का जो चुनाव हुआ था, उसमें भी बीजेपी को प्रचंड जीत मिली थी और पार्टी ने अकेले दम पर तीन सौ से ज्यादा सीटें पाकर बहुमत हासिल किया था. कहा जा सकता है कि प्रयागराज में महाकुंभ के अमृत कलश से छलकी बूंदों ने दिल्ली में बीजेपी की नैया पार लगाने में अहम भूमिका निभाई.
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