Mauni Amavasya 2025 trigrahi or Triveni yog after 144 years like Samudra manthan benefits of Amrit Snan

Mauni Amavasya 2024: महाकुंभ के सबसे प्रमुख पर्व मौनी अमावस्या का अमृत स्नान 29 जनवरी, बुधवार को होगा. ज्योतिषशास्त्रियों की काल गणना के अनुसार इस वर्ष मौनी अमावस्या कि तिथि पर 144 वर्षों बाद अद्भुत त्रिवेणी योग बन रहा है. ज्योतिषशास्त्रियों का कहना है कि ये योग समुद्र मंथन के योग के समान है, इस योग में पवित्र त्रिवेणी में स्नान करने से सहस्त्र वाजपेय यज्ञ और सौ अश्वमेध यज्ञ के सामान पुण्य प्राप्त होता है.

ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार, यह समुद्र मंथन तुल्य योग मंगलवार दोपहर 2:35 से लेकर 8 फरवरी सुबह 7:25 बजे तक रहेगा. इस योग में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होगा. शास्त्रों और पुराणों में वर्णन है कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या तिथि पर पवित्र संगम में स्नान करना मोक्षदायक माना गया है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर श्रद्धालु किसी कारण प्रयागराज के त्रिवेणी संगम नहीं जा पाएं तो इन विशेष योग और नक्षत्र में सुविधा के साथ किसी भी घाट पर स्नान करें, उन्हें संगम स्नान जैसे ही पुण्य फल की प्राप्ति होगी.

144 साल बाद बन रहा है विशिष्ट संयोग

पौराणिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या कि तिथि पर मौन व्रत रखकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का विधान है. पंचांग की गणना के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को सांयकाल 07 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट तक रहेगी. प्रयागराज के ज्योतिष शास्त्री एचके शुक्ला का कहना है कि इस वर्ष महाकुम्भ में 144 वर्ष बाद विशिष्ट संयोग बन रहा है. इस वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुद्ध तीनों ग्रह स्थित हो रहे हैं और बृहस्पति ग्रह नवम दृष्टि में है. इस विशिष्ट संयोग को त्रियोग या त्रिवेणी योग कहा जाता है. यह त्रिवेणी योग समुद्र मंथन काल के योग के समान है. इस योग में त्रिवेणी स्नान विशेष फलदायी है. मौनी अमावस्या तिथि पर मौन व्रत रख कर स्नान करने और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है.

संगम स्नान नहीं कर पाने वाले घर पर ही करें विशेष स्नान

कानपुर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पीएन द्विवेदी के अनुसार, महाकुंभ में माघ मास की अमावस्या तिथि को ही मौनी अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या के दिन ही वैवस्वत मनु का जन्म हुआ था. इस दिन मौन व्रत रखकर स्नान करना शुभ माना जाता है. मौनी अमावस्या पर स्नान का उत्तम मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त में होता है, लेकिन पूरे दिन ही मौनी अमावस्या तिथि का स्नान करना शुभ माना गया है. उदया तिथि होने कारण पूरे दिन ही अमावस्या का स्नान होगा. संभव हो तो इस दिन मौन व्रत रख कर संगम स्नान करना चाहिए, विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. जो लोग त्रिवेणी संगम में स्नान नहीं कर पा रहे हैं वो संगम या गंगा जल को पानी में मिलाकर स्नान करें, उससे उन्हें संगम स्नान का ही फल प्राप्त होगा.

पूरे दिन बन रहा स्नान का शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या तिथि के दिन अमृत स्नान के कई शुभ मुहूर्तों का निर्माण हो रहा है, जिसमें स्नान और दान विशेष फलदायी है. इसमें ब्रह्म मुहूर्त से लेकर अमृत चौघड़िया मुहूर्त और शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी है. साथ ही मौनी अमावस्या पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बाद श्रवण नक्षत्र लग रहा है. इन सभी योग और नक्षत्रों में स्नान दान करने व पितरों की शांति के लिए पूजन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.

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