Mahakumbh 2025 These 10 important points of Prayagraj Kumbh make the world largest religious event

Mahakumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो चुकी है और यह आयोजन 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. महाकुंभ के इस पावन पर्व में देश-दुनिया से आए करोड़ों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं. यह आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का अद्वितीय संगम है जिसमें मुख्य रूप से त्रिवेणी संगम पर स्नान का महत्व होता है. श्रद्धालु अलग-अलग तितियों में प्रमुख स्नान पर्वों पर जैसे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya), बसंत पंचमी (Basant Panchami), माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) आदि पर संगम में डुबकी लगाते हैं.

महाकुंभ की भव्यता और इसकी विशालता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि आस्था के इस महापर्व में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से साधु-संत, संन्यासी, प्रसिद्ध व मशहूर हस्तियां, उद्योगपति, श्रद्धालु और आमजन शामिल होते हैं. सभी गंगा, जमुना, सरस्वती के पावन संगम पर डुबकी लगाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं. तकरीबन डेढ़ महीने तक चलने वाले प्रयागराज कुंभ की शुरुआत के साथ ही भारत समेत दुनियाभर की मीडिया में यह चर्चा का विषय बना हुआ है. फिर चाहे वह अमेरिका हो, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, कतर या फिर पाकिस्तान चारों ओर महाकुंभ की खबरें सुर्खियों में है. आइए जानते हैं आखिर ऐसी कौन सी बातें हैं, जो महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनाती है.

महाकुंभ से जुड़ी ये 10 बड़ी बातें, जो आपको जरूर जाननी चाहिए (Mahakumbh10 important points)

  • महाकुंभ का पर्व 144 वर्षों में एक बार आता है, इसलिए यह एक पूरी पीढ़ी के लिए भी खास हो जाता है. महाकुंभ के इस धार्मिक आयोजन का साक्षी बनने का अवसर हमें मिला है. महाकुंभ में शामिल होकर स्नान कर पुण्य कमाने का लाभ उठाएं. इसलिए कुंभ में अवश्य जाएं और इस विशाल धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनें.
  • कुंभ से जुड़े पौराणिक व धार्मिक कारण के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदे जिन स्थानों पर गिरी थी, केवल उन्हीं स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है. इन चार स्थानों में प्रयागराज भी एक है.
  • धार्मिक आयोजन होने के साथ ही महाकुंभ से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिलता है. इससे अनुमानित 2 लाख करोड़ तक का व्यापार हो सकता है, जिससे उत्तर प्रदेश की जीडीपी (GDP) में 1 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो सकती है.
  • पवित्र नदियों का संगम प्रयाग कुंभ को अधिक महत्वपूर्ण बनाता है. क्योंकि महाकुंभ का आयोजन ‘त्रिवेणी संगम’ (Triveni) के तट पर होता है. इसे गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी पौराणिक नदियों का संगम माना जाता है. धार्मिक मान्यता अनुसार त्रिवेणी संगम पर किए स्नान से पापों से मुक्ति मिलती है.
  • महाकुंभ को धार्मिक रूप से तो बड़ा आयोजन माना ही जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ को वैश्विक मान्यता भी प्राप्त है. साल 2017 में यूनेस्को (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि लिस्ट में कुंभ मेला को शामिल किया गया.
  • कुंभ मेले का ऐतिहासिक प्रमाण होने के कारण ही यह देश-दुनिया में आस्था का केंद्र बना हुआ है. एतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि कुंभ मेले का इतिहास 850 साल पुराना है. कुछ दस्तावेजों में इसकी शुरुआत 525 बीसी बताई जाती है. विद्वानों द्वारा गुप्त काल में कुंभ सुव्यवस्थित होने की बात कही गई है. वहीं सम्राट शिलादित्य हर्षवर्धन 617-647 के समय कुछ प्रमाणिक तथ्य प्राप्त होते हैं.
  •  कुंभ मेले का पहला लिखित प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग की कहानियों में मिलता है. ह्वेनसांग या ह्वेन त्सांग राजा हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान भारत की यात्रा के लिए आए थे. कुंभ मेले का पहला ज्ञात विवरण 629 ईसा पूर्व -645 ईसा पूर्व की अवधि में दर्ज किया गया था.
  • कुंभ में नागा साधु (Naha Sadhu) आकर्षण का केंद्र माने जाते हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में कोने-कोने से नागा साधु शामिल होते हैं और शाही स्नान करते हैं.
  • महाकुंभ में भारतीय भक्तों के साथ ही दुनियाभर से विदेशी भक्त भी शामिल होते हैं. यह इस बात का प्रमाण है कि महाकुंभ का भव्य आयोजन और इससी जुड़ी मान्यताएं विदेशी भक्तों को भी आकर्षित करती है.
  • अखाड़ों की परंपरा भी महाकुंभ को विशेष बनाती है. महाकुंभ में प्रमुख 13 अखाड़े शाही स्नान का अधिकार रखते हैं. आदि शंकराचार्य ने अखाड़े की स्थापना वैदिक सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए की थी.

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