<p style="text-align: justify;">थाईलैंड ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दे दी है. इसके साथ ही थाइलैंड इतिहास रचते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला देश बन गया है, जिसने समान लिंग को विवाह की मान्यता दी है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार (23 जनवरी 2025) को बैंकॉक के सियाम पैरागॉन शॉपिंग सेंटर में आयोजित एक भव्य समारोह में 200 से अधिक समलैंगिक जोड़ों ने शादी की. </p>
<p style="text-align: justify;">यह कानून LGBTQ+ समुदाय के लिए एक बड़ी जीत है, जो पिछले एक दशक से भी अधिक समय से विवाह के समान अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा था. इस विधेयक को 2024 में थाईलैंड की संसद ने मंजूरी दी थी और इसे राजा महा वजिरालोंगकोर्न की ओर से अनुमोदित किया गया था. अब यह कानून समलैंगिक जोड़ों को विवाह पंजीकरण, वित्तीय और चिकित्सा अधिकारों के साथ-साथ गोद लेने और उत्तराधिकार के अधिकार देता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>प्रधानमंत्री ने बताया ‘ऐतिहासिक दिन'</strong></p>
<p style="text-align: justify;">थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैथोंगतान शिनावात्रा ने इसे समानता और समावेशन की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया. एक रिकॉर्डेड संदेश में उन्होंने कहा, "यह कानून थाई समाज में लैंगिक विविधता के प्रति जागरूकता और सभी के लिए समान अधिकार और गरिमा की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है."</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने इस मौके पर LGBTQIA+ समुदाय के संघर्ष की सराहना करते हुए इसे सामूहिक कोशिशों का नतीजा बताया. उन्होंने ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, "23 जनवरी 2025 – प्यार की जीत का दिन! यह जीत हर उस शख्स की मेहनत का फल है, जिसने समलैंगिक विवाह के लिए लड़ाई लड़ी. आज थाईलैंड के ऊपर इंद्रधनुष (LGBTQIA+ का प्रतीक) का झंडा गर्व से लहरा रहा है."</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>2024 में ही लागू हुआ था कानून</strong></p>
<p style="text-align: justify;">गौरतलब है कि इस ऐतिहासिक विवाह समानता कानून को 24 सितंबर 2024 को औपचारिक रूप से लागू किया गया था. इस विधेयक के अनुमोदन के बाद इसे रॉयल गजट में प्रकाशित किया गया था. इस विधेयक का मकसद समाज में लैंगिक भेदभाव को खत्म करना और सभी के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना है. थाईलैंड के इस कदम ने पूरे क्षेत्र में लैंगिक समानता की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है.</p>
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