भारतीय शेयर बाजार के लिए ट्रंप की कुर्सी कितनी बेहतर? रिटर्न के मीटर पर समझिए पूरी गणित 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में आ गए हैं, जिसका असर आज भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को थोड़ा मिला है. निफ्टी 320 अंकों की गिरावट के साथ 23024 पर बंद हुआ. सेंसेक्स 1235 अंक लुढ़ककर 75838 पर बंद हुआ और बैंक निफ्टी 779 अंक फिसलकर 48570 पर बंद हुआ. एप में देखें

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल का न केवल अमेरिकी शेयर बाजार पर, बल्कि भारत सहित वैश्विक बाजारों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. पिछले चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में डॉव जोन्स इंडेक्स और भारतीय शेयर बाजार में हुए उतार-चढ़ाव इसका स्पष्ट उदाहरण हैं. 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप एक्शन मोड में आ गए हैं, जिसका असर आज भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को थोड़ा मिला है. निफ्टी 320 अंकों की गिरावट के साथ 23024 पर  बंद हुआ. सेंसेक्स 1235 अंक लुढ़ककर 75838 पर बंद हुआ और बैंक निफ्टी 779 अंक फिसलकर 48570 पर बंद हुआ. 

डॉव जोन्स पर राष्ट्रपतियों का असर 

जॉर्ज बुश के कार्यकाल में डॉव जोन्स में 28% की बढ़ोतरी हुई थी. बराक ओबामा के नेतृत्व में यह आंकड़ा 78% तक पहुंच गया. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के चार साल के कार्यकाल में डॉव जोन्स में 54% का इजाफा देखा गया. मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में अब तक यह इंडेक्स 41% बढ़ा है.  

कैसा रहा भारतीय शेयर बाजार का हाल?  

बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत के शेयर बाजार में 55% का इजाफा हुआ था, जबकि डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में यह बढ़कर 63% हो गया. जो बाइडेन के कार्यकाल में भारतीय शेयर बाजार अब तक 89% की बढ़त दर्ज कर चुका है. यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत की घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्था ने वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है.  

ट्रंप से क्या भारतीय बाजार पर पड़ेगा असर?

नोमुरा के विश्लेषकों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर निर्भर होने के कारण अमेरिकी धीमी ग्रोथ से ज्यादा प्रभावित नहीं होगी. कच्चे तेल की कीमतों में संभावित गिरावट से बीपीसीएल, आईओसीएल और एचपीसीएल जैसी भारतीय कंपनियों को फायदा होगा. हालांकि, तेल और गैस उत्पादक कंपनियां जैसे ओएनजीसी और ऑयल इंडिया पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है. डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां अमेरिका के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में स्थिरता और अस्थिरता दोनों ला सकती हैं. भारत को क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट और चीन की धीमी अर्थव्यवस्था का फायदा मिलने की संभावना है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल में वैश्विक और भारतीय बाजार कैसे प्रतिक्रिया देते हैं.  

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