Mahakumbh 2025 vedas and kumbh connection mythology history snan daan importance

Mahakumbh 2025: वेद सनातन धर्म में सबसे सर्वोपरि ग्रंथ माने जाते हैं. कुम्भ का उल्लेख वेदों में भी मिलता है इसलिए कुम्भ की महत्ता बढ़ जाती हैं.

कुम्भ के सम्बन्ध में वेदों में अनेक महत्त्वपूर्ण मन्त्र मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि कुम्भ अत्यन्त प्राचीन और वैदिक धर्म से ओत-प्रोत है. कुछ उदहारण वेदों में सिद्ध होते हैं –

1) जघान वृत्रं स्वधितिर्वनेव रुरोज पुरो अरदन्न सिन्धून् । बिभेद गिरिं नवभिन्न कुम्भभा गा इन्द्रो अकृणुत स्वयुग्भिः ॥

(ऋग्वेद 10.89.7)

‘कुम्भ-पर्व में जाने वाला मनुष्य स्वयं दान-होमादि सत्कर्मों के फलस्वरूप अपने पापों को वैसे ही नष्ट करता है जैसे कुठार वन को काट देता है. जिस प्रकार गंगा नदी अपने तटों को काटती हुई प्रवाहित होती है, उसी प्रकार कुम्भ-पर्व मनुष्यके पूर्वसंचित कर्मों से प्राप्त हुए शारीरिक पापों को नष्ट करता है और नूतन (कच्चे) घड़े की तरह बादल को नष्ट-भ्रष्टकर संसार में सुवृष्टि प्रदान करता है.’

2) कुम्भो वनिष्टुर्जनिता शचीभिर्यस्मिन्नग्रे योन्यां गर्भो अन्तः । प्लाशिर्व्यक्तः शतधारउत्सो दुहे न कुम्भी स्वधां पितृभ्यः ॥

(शुक्लयजुर्वेद १९.८७)

‘कुम्भ-पर्व सत्कर्मके द्वारा मनुष्यको इहलोकमें शारीरिक सुख देनेवाला और जन्मान्तरोंमें उत्कृष्ट सुखोंको देनेवाला है।’

3) पूर्णः कुम्भोऽधि काल आहितस्तं वै पश्यामो बहुधा नु सन्तः । स इमा विश्वा भुवनानि प्रत्यङ्कालं तमाहुः परमे व्योमन ॥ (अथर्ववेद 19.53.3)

‘हे सन्तगण ! पूर्णकुम्भ बारह वर्षके बाद आया करता है, जिसे हम अनेक बार प्रयागादि तीर्थोंमें देखा करते हैं. कुम्भ उस समयको कहते हैं जो महान् आकाशमें ग्रह-राशि आदिके योगसे होता है.

हालांकि वेदों के भाष्य भिन्न भिन्न हो सकते हैं लेकिन यह भाष्य गीता प्रेस के पुस्तक कुंभ पर्व से लिया गया हैं जो की संत समाज स्वीकारता हैं.

इससे सिद्ध हो जाता है की कुम्भ हमारी एक प्राचीन धरोहर हैं.

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