Viral Sundari Harsha Richhariya Mahakumbh reality about Sadhvi and diksha

Mahakumbh Harsha Richhariya: प्रयागराज में माहकुंभ चल रहा है और साधु-संत के साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालु संगम पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. महाकुंभ की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. लेकिन इस बीच हर्षा रिछारिया चर्चा में हैं.

हर्षा उस समय चर्चा में आ गईं जब महाकुंभ में उनकी एंट्री रथ पर बैठकर हुई. हर्षा बालों की जटा बनाए, मस्तिष्क पर चंदन का लेप लगाए, कुमकुम का टीका लगाए, रुद्राक्ष की माला पहने हुए पीले कपड़ों में नजर आई. इसके बाद से ही उन्हें महाकुंभ की सुंदर साध्वी कहा जाने लगा.


महाकुंभ में कई साधु-संत और साध्वी की उपस्थिति के बीच हर्षा के साध्वी होने की खबरों के तूल पकड़ने का कारण है उनका ग्लैमरस और स्टाइलिश अंदाज. हर्षा रिछारिया के सोशल मीडिया अकाउंट इंस्टाग्राम के बायो के अनुसार, वह एक पब्लिक फिगर, सोशल एक्टिविस्ट और इनफ्लुएंसर हैं. साथ ही हर्षा एंकर और अभिनेत्री भी रह चुकी हैं. हर्षा के अनुसार वह निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशनंद गिरि महाराज की शिष्या भी हैं.  

लेकिन हर्षा के वेशभूषा और सोशल मीडिया अकाउंट ने कई सवाल भी खड़े कर दिए और वायरल सुंदरी का सच भी सामने आ गया है. आइये जानते हैं महाकुंभ की वायरल सुंदरी हर्षा क्या सच में साध्वी हैं, क्या उन्होंने इसके लिए कोई दीक्षा ली है. आइये जानते हैं महाकुंभ की वायरल सुंदरी साध्वी का सच!

हर्षा रिछारिया ने खुद बताया अपना सच

मीडिया से बात करते हुए खुद हर्षा ने यह कहा कि, मैं बचपन से साध्वी नहीं हूं और मैं अभी भी साध्वी नहीं हूं. लेकिन मैं इस ओर आगे बढ़ रही. परम पूज्य गुरुदेव जी की जो भी आज्ञा होगी उसे माना जाएगा.

हर्षा ने कहा कि, काम के साथ भी भक्ति भावना को जारी रखा जा सकता है. हालांकि प्रोफेशनल लाइफ को छोड़ना उनका निजी फैसला था. हर्षा के अनुसार, धर्म और संस्कृति से जुड़े रहना और उसे आगे बढ़ाना जरूरी है.

जब उनकी सुंदरता पर सवाल किए गए तो, इस पर उनका कहना था कि, सुंदरता का भक्ति से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा आगे जो भी भाग्य में लिखा होगा, वही होगा. मैं सभी चीजों को छोड़कर यहां आई हूं.  

साध्वी होने पर क्या बोलीं हर्षा

हर्षा रिछारिया ने कहा कि, ये सुनकर अच्छा लगा कि दुनिया की खूबसूरत… लेकिन साध्वी का जो मुझे टैग दिया जा रहा है, वह उचित नहीं है. क्योंकि अभी मैं पूरी तरह से साध्वी नहीं हूं. बल्कि लोगों ने मेरी वेशभूषा को देख साध्वी समझ लिया है. हालांकि मैंने खुद को कभी साध्वी नहीं कहा. मैंने सिर्फ मंत्र दीक्षा ली है और सनातन संस्कृति की ओर बढ़ रही हूं.

ABP News से बात करते हुए भी हर्षा रिछारिया ने खुद को साध्वी कहे जाने पर ऐतराज जताया. हर्षा ने कहा कि, उन्होंने करीब पौने दो साल पहले अपने गुरु से दीक्षा जरूर ले ली थी, लेकिन वह संन्यास धारण करने पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लेना चाहती हैं. अमृत स्नान करने के बाद हर्षा ने कहा था, स्नान के बाद उन्हें दिव्य अनुभूति हो रही है.

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